संपादकीय
Musalmano Ki Tabahi Ka Jimmedar Khud MUSALMAN ।। कमजोर पड़ रही मुस्लिम दुनिया ।।
SD24 News Network –
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सिर्फ एक गिरोह (group) तैयार किया था । और उस गिरोह यानी ग्रुप को दुनिया मुस्लिम के नाम से जानती थी । लेकिन अफसोस इख्तिलाफ की बिना पर उलेमा ए सू ने उम्मत को बेशुमार गिरोह (groups) मे बांट दिया । हर गिरोह दूसरे गिरोह को हक़ीर और जहन्नमी समझता है । जिसकी वजह से दुनिया हम पर थूक रही है ।
मुसलमानो के आपसी इखतलाफ इस उम्मत के लिए सबसे बड़ा अभिशाप मुसलमानों पर लानत बन गए है । जिसकी वजह से इस उम्मत का इत्तेहाद इक्वलिटी खत्म हो रही है । उलेमा का एक गिरोह इन इख्तिलाफ को हवा देकर मुसलमानो के खूनखराबे का जिम्मेदार बन रहा है । इख्तिलाफी बातो की वजह से मुसलमान एक-दूसरे को काफिर तक समझ बैठे है । इसलाम विरोधी लोगो से ज्यादा इस उम्मत के लिए उलेमा ए सू नुकसानदेह साबित हुए है । जो काम 125 सालो मे RSS न कर पाई वो उलेमा ए सू की 25 मिनट की तकरीर ने कर दिया ।
इसलाम दुनिया के सारे मुसलमानों को एक गिरोह बताता है । इस्लाम एक गिरोह में रहने की तरग़ीब देता है । मतलब इस्लाम को मानने मानने वाले सब एक हैं । लेकिन अक्सर भारतीय मुसलमान जिस तरह आपस में बंटे हुए हैं । वो इस्लाम के इस बुनियादी उसूल को ही नकारता है ।
इसी इख्तिलाफ का फायदा इसलाम विरोधी लोग उठाते है । जिसकी वजह से भारत में राष्ट्रवाद के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है ।
हकीकत ये है कि फिरकेबाजी व मसलक परस्ती की ये दरारें इसलामी कल्चर का हिस्सा नही है । इस्लामी तालीम और हिस्ट्री हमें बहेतरीन नजरिये और तरीके आता करता है। जिसमे मुसलमानो को एक गिरोह के तौर पर बताया गया है । और मुसलमानो को हुक्म दिया गया है एक गिरोह बनकर रहे ताकि आपस मे मतभेद पैदा न हो
इस्लाम इंसानियत के इत्तेहाद पर ज़ोर देता, यह मानव विविधता यानी ह्यूमन डाइवर्सिटी को भी एक्सेप्ट करता है । और समाज में जातीय, कबायली और मजहबी मतभेद से निपटने के लिए कीमती उसूल (सिद्धांत) भी आता करता है।
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