Connect with us

महाराष्ट्र

रावण दहन : हजारो साल की नहीं ।। सिर्फ 67 साल की है प्रथा ।।

Published

on

Ravana Dahan: Not thousands of years. The practice is only 67 years old.

SD24 News Network रावण दहन : हजारो साल की नहीं ।। सिर्फ 67 साल की है प्रथा ।।

नागपुर। शहर में कस्तूरचंद पार्क सहित अनेक स्थानों पर प्रतिवर्ष रावण दहन का आयोजन किया जाता है, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि शहर में पहली बार रावण दहन 1952 में मेकोसाबाग में किया गया था। चरणदास तलवार ने अपने हाथों से रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया था। बाद में सामूहिक रूप से रावण दहन किया जाने लगा।




कस्तूरचंद पार्क में रावण दहन का आयोजन करने वाली संस्था सनातन धर्म युवक सभा के दशहरा सभापति विजय खेर ने बताया कि देश का विभाजन होने पर विस्थापित 25 पंजाबी परिवारों ने उत्तर नागपुर स्थित मेकोसाबाग में सन 1948 में अस्थाई कैंप में डेरा डाला। धार्मिक प्रवृत्ति के इन बाशिंदों ने मिल-जुलकर मेकोसाबाग में टीन और लकड़े से राधाकृष्ण का मंदिर साकार किया। धार्मिक प्रवृत्ति के चरणदास तलवार ने सन 1952 में विजयादशमी पर रावण का दहन करने की ठानी। उन्होंने अपने हाथों से कागज का रावण का पुतला बनाया और मंदिर से सटे मैदान में उसका दहन किया। पहली बार रावण दहन देखने के लिए आसपास के लोग जुटे। 




धीरे-धीरे लोग तलवार के साथ जुड़ते गए और बड़े पैमाने पर रावण दहन के आयोजन की योजना बनी, ताकि लोग कार्यक्रम देखने आ सकें । सन 1960 में चरणदास तलवार ने तिलकराज थापर, केसरलाल थापर, चेलाराम थापर, हरिचंद राय, रावेलचंद साहनी, आयाराम साहनी, धनीराम छोकरा, सुंदरलाल तलवार, संतराम साहनी, हेमराज चावला, कृष्णलाल थापर के साथ मिलकर सनातन धर्म युवक सभा का गठन किया। सन 1963 के अासपास कस्तूरचंद पार्क में 30 फीट ऊंचे रावण दहन किया जाने लगा। 10 साल तक रावण के पुतले का निर्माण तलवार ने ही किया। यह सिलसिला 10 वर्ष तक चला। सन 1969 में संस्था का पंजीयन किया गया।




उस समय रावण के पुतले में ज्यादा पटाखे नहीं लगाए जाते थे। दशहरा के दिन राधाकृष्ण मंदिर से भव्य शोभायात्रा भी निकाली जाती थी, जिसमें झांकियों का समावेश होता था। रथ पर सवार राम रावण का दहन करते थे। दशहरा के पूर्व दस दिनों तक रामलीला होती थी, जिसमें समाज के लोग विभिन्न पात्रों के अभिनय करते थे।  




इस बीच कलाकार हेमराज बिनवार संस्था के संपर्क में आए और रावण का पुतला बनाना शुरू किया। रावण की आकर्षक भाव-भंगिमा के कारण रावण दहन कार्यक्रम पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया। रावण के साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन भी किया जाने लगा। धीरे-धीरे रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई बढ़ने लगी। आतिशबाजी से कार्यक्रम और रोमांचक हो गया। 


Continue Reading
Advertisement
1 Comment

1 Comment

  1. Rastrear Celular

    February 10, 2024 at 2:33 am

    As razões mais comuns para a infidelidade entre casais são a infidelidade e a falta de confiança. Em uma época sem telefones celulares ou internet, questões de desconfiança e deslealdade eram menos problemáticas do que são hoje.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *