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दुबे तो एक मोहरा था, एनकाउंटर के साथ सारे राज दफन, और बड़ी मछलियां बच गयी

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दुबे तो एक मोहरा था, एनकाउंटर के साथ सारे राज दफन, और मछलियां बच गयी
सारा “विकास” इतना प्लांटेड चल रहा है कि पहले मंदिर में हाज़िरी। फिर “मैं हूं विकास दुबे कानपुर वाला” । इसके बाद पुलिस का गाड़ी में कानपुर लाना। उसके बाद मीडिया को रास्ते में रोकना। और अब गाड़ी का पलटा हुआ दिखाना। अगली अपडेट ये भी हो सकती है, “विकास” मर गया। यानी जो राज़ उसकी ज़बान से बाहर आ सकते थे। जो गठजोड़ खुल सकते थे, वो यहीं दफन हो जाएंगे।

ये आतंकवादी तो सिर्फ मोहरा था, इनके मुखिया तो सफेदपोश हो सकते हैं। उनका नकाब शायद ना उतर पाएगा। और आप खुश हो लेंगे देखो 8 पुलिस वालो को मारा था, पुलिस ने विकास दुबे को ठोक दिया। असली खबर आप देख ही नहीं पाएंगे। सब कुछ प्लांटेड देखकर रह जाएंगे।

विकास दुबे के Encounter किसी C-Grade फिल्में के Script जैसी भी नही लगती,जिसनें कल पुरी धुमधाम से सरेंडर किया था, वो आज भागनें की कोशिश में मारा गया है। दरअसल ये भी बाकि अन्य हत्याओं की तरह ही,  विकास दुबे सत्ता के अंदर और बाहर बैठें माननीयों के गहरे राज जानता है। पक्ष विपक्ष दोनों के अपराधीकरण के पोल-पट्टी खुल जाती अगर उससे पुछताछ होती, पुलिस को तो उसे फांसी दिलवाने का काम करना चाहिए, मगर सत्ता के सफेदपोशों की पोल-पट्टी न खुल जाए,इसलिए ये सारा खेल तमाशा किया गया।

अब तो देश के सारे न्यायाधीश को इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन याद रहे पुलिसिया न्याय प्रकिया के चंगुल में कभी आप आ गये तो आपके साथ भी यही होगा। इसी के साथ सारी बड़ी मछलियां फंसने से बच गयी ।
सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेते हुए इस Encounter की CBI जांच करवानी चाहिए?

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