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शूटीर द्रविड़ -देश भाषा पहनावा, जाति-धर्म व मां-बाप बदलने से नश्लें नही बदलती

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देश भाषा पहनावा, जाति-धर्म व मां-बाप बदलने से नश्लें नही बदलती
शूटीर_द्रविड़ दानव दानक शब्द से द्रविड़ शब्द अंग्रेजों द्वारा संस्कृत किया हुआ बताया जाता है। शूटीर-द्रविड़ से संक्षिप्त रूप में शब्द शूद्र बनाया गया है। संस्कृत भाषा के शूटीर शब्द का अर्थ- सूरमा, बहादुर वीर जांबाज, हिम्मतवाला और द्रविड़ का मतलब – Ethiopia Sudae के Danakil, Gonder Sukuma Boro क्षेत्र के दानक (Danak) दानव व Dinka Thanaka इत्यादि जनजाति के जनमानस ।



इथोपियाई-सूडान (कुश) देश के Danakil, Sukuma, Gonder, Bor, Omo valley, Nubia, माली आदि क्षेत्र के Beja Bodi Borana Berber, Dinka, Danaka, Thanaka, Tuareg, Hausa, Agwa, Turkana आदि जनजातियों के नाम से जाने जाते हैं।
पहली शताब्दी से कहीं पहले अफ्रीकी क्षेत्र के इथोपियाई नुबिया, Sudan, Eritrea, Namibia आदि देश के लोगों का घुमंतू के रुप में हिंदुस्तान आना-जाना शुरू हुआ माना जाता है। इन्हें आज की भाषा में’ सिद्द, सिद्दी (Siddi), Sidhi आदि मुसलमान व हिंदु के रुप बताया जाता है। इथोपियाई लोगों का हिंदुस्तान में शासन शुरू हुआ था। हिंदुस्तान के हिंदु कहे जाने वाले राणा राव राजा शाह व काले-सांवले रंग वाले लोग इथोपियाई समूह के सिद्दीकी व अन्य जनजाति के लोग हैं।




अंग्रेज़ों द्वारा नई-नई रियासतें गढ बनाने हेतु डच ईस्ट इंडिया के सहयोग से अफ्रीकी देशों के बच्चों महिलाओं व जवान लडके-लडकियों को गुलाम बनाकर हिंदुस्तान लाए गये थे। अंग्रेजों के मार्फ़त गोदनामा के नाम पर शासन करने वाले काले-सांवले रंग के राणा-राव-राजा शाह भी इथोपियाई देशों के जनजाति समूह व वहाँ के मूलवासी थे।
सतरहवीं सदी में’ डच व ईस्ट इंडिया द्वारा नगर सडक कारखाने आदि के निर्माण के समय विभिन्न देशों के मर्चेंट, व्यापारी, नौकर, सैनिक, घुमंतू जनजातियों के अलावा गुलाम के रुप में भी जबरण व खरीद कर लाए गये’ इथोपिया सूडान नुबिया यमन अजरबेजान, अल्जीरिया मोरक्को माली आदि अफ्रीकी देशों के अलावा मेसोपोटामिया बेबीलोन असीरिया क्षेत्र के इराक इरान सीरिया यजद कुर्दिस्तान, मिश्र यवन, खोरास्तान तुर्किस्तान तथा सिल्क रूट के मुख्य देश उज़बेकिस्तान तजाकिस्तान कजाकिस्तान तातारस्तान अफगानिस्तान के लोग भी शामिल हैं।




काले-सांवले रंग रूप के इथोपियाई देशों के लोग भारत में” बुद्धिज्म सिख ईसाई हिंदु-मुसलमान आदि धर्मो में बंटने के अलावा हिंदुस्तान की विभिन्न जातियों- गोंड सुकुमा बोरो दानका दानव, धाणका धानक धानुक, यादव कुम्हार, जाटव, जाट, लुहार कुर्मी, पासी, मजहबी बावरी बाजीगर बोराना, बडगुज्जर, सांसी, मिरासी राजपूत, अग्रवाल, जैन, काले-सांवले रंग वाले ब्राहमण, मेहतर, राठौड़ आदि जातियाँ में शामिल होकर व भांति-भांति के राणा-राव-राजा के वंशीधारियों में विभाजित हो गये हैं।
“ध” अक्षर अधिकांश देशों की लिपि में शामिल नही हैं, इसलिए “ध” को “द” या “थ” के रुप में बोला व लिखा जाता है। #नमस्ते शब्द इथोपियाई देश के लोगों में सलाम-नमस्कार-जोहार की तरहं आज भी नमस्ते कहकर एक-दूसरे का आदर-सम्मान करते हैं।




लम्बी नाक, लम्बी मूंछें, लम्बी टांगे, लम्बे चेहरे वाले, लम्बे काले घने-बाल, घाघरा-कमीज़ व सिर ढकने का पहनावा, रीति-रिवाज आदि इथोपियाई मिडिल ईस्ट देशों व हिंदुस्तान की विभिन्न जाति-धर्म के लोगों की नश्लों में देखने को मिलते हैं। काले रंग की काली का पूजन और जैनिज्म धर्म में लिंग व योनि का पूजन भी इथोपियाई देशों के अनेक जनजातियों में शामिल है और उनमें ही अधिक है जो इथोपिया से इंडिया आए हैं। नीले रंग के लोग सहारा रेगिस्तान व अफ्रीकी के डिंका व Tuareg कबीले की मुख्य पहचान माना जाता है। शायद इसी कारण अवतार के नाम पर काले-सांवले रंग वाले देवी-देवताओं को नीले रंग में दिखाया जाता है।
सनद-रहे :- देश भाषा पहनावा, जाति-धर्म व मां-बाप बदलने से नश्लें नही बदलती हैं।
-अपौरुषेय-बाणी Hasraj Dhanka (लेखक के निजी विचार)



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