SD24 News Network
फोटो में दिख रहा नौ महीने का यह मासूम अब इस दुनिया में नहीं है। क्योंकि नियति के क्रूर हाथों ने इसे हमसे छीन लिया। जहान के अपने जीवन का एक हिस्सा शाहीन बाग के इस धरने में गुजरा। नौ महीने का जहान पिछली 18 दिसंबर से रोजाना अपनी मां नाजिया के साथ धरने में शामिल होता था। रोजाना आने के चलते न केवल लोगों से परिचित हो गया था बल्कि हर किसी की आंख का तारा बन गया था।
एक गोद से दूसरी गोद, एक कंधे से दूसरे कंधे पर रहना इस मासूम की दिनचर्या बन गयी थी। कोई उसके गाल पर तिरंगे की पेंटिंग कर देता तो कोई गमछा बनाकर उसके गले में लपेट देता। लेकिन समय इतना बेरहम हो सकता है किसी ने सोचा भी नहीं था। लोगों का यह लाडला 30 जनवरी की गलन भरी रात को बर्दाश्त नहीं कर सका। और हमेशा-हमेशा के लिए इस धरती से रुखसत हो गया। लेकिन इसके साथ ही इस मासूम ने सबसे नन्हे शहीद होने का दर्जा हासिल कर लिया है।
अल्लाह इस नन्हे शहीद के वालिदैन को सब्र आता फरमाए
अल्लाह इस नन्हे शहीद के वालिदैन को सब्र आता फरमाए