ZEE ने नहीं मांगी माफ़ी उछल कूद बंद करो……. शुरुआत तो अब हुई

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मीडिया ने नफरत का ज़हर घोलकर मुसलमानों को मजलूम और कई हिन्दुओं को अपराधी बनाया है. जागो…..!
ZEE ने नहीं मांगी माफ़ी उछल कूद बंद करो……. शुरुआत तो अब हुई
नई दिल्ली : मीडिया द्वारा देशभर में फैलाए गए जहर से देश का काफी सारा नुक्सान हुआ है. खून-खराबा, अन्याय, अत्याचार, मुसलमानों का बहिष्कार हिन्दू भाइयों पर कई सारे केसेस. आपको क्या लगता है सिर्फ मुसलमानों का नुक्सान हुआ ? तो आप गलत समझ रहे हो. मीडिया द्वारा फैलाए गए जहर ने भारत के हिन्दू समुदाय के कई लोगों को अपराधी बनाया है. इतने बड़े गुनाह की सजा भी इतनी बड़ी ही चाहिए. और मुसलमान लोग खेद में खुश है ? क़ानूनी कारवाही अनिवार्य है.


गौरतलब हो की कल से मुसलमानों द्वारा एक स्क्रीनशॉट धड़ल्ले से वायरल किया जा रहा है. जिसमे साफ़ तौर से ZEE न्यूज़ द्वारा लिखा गया है की, “मानवीय गलती के लिए हमें खेद है” यह स्क्रीनशॉट शेयर कर के बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाले मुसलमान पर तरस आता है. पढ़े लिखे भी अनाड़ीयों में शामिल हो गए है. खेद और माफ़ी में फर्क भी नहीं समझ रहे है. सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले मुसलमानों में से एक बड़ा तबका इतना गंवार है के किस चीज को फैलाना है और किस चीज को नहीं यह भी नहीं जानता. इसका जीता-जागता उदाहरण है महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गिरफ्तार तीन जाहिल मुस्लिम युवा. अप्रादी मीडिया द्वारा कोरोना विरस से भी ज्यादा खतरनाक वायरस भारत में फैलाया गया है. और अक्सर मुसलमान लोग ZEE द्वारा जताए गए खेद को लेकर उछल-कूद कर रहे है. इसका सीधा मतलब हुआ के अब ZEE न्यूज़ जो भी खबर छपेगा वह सत्य होगी इसकी गवाही मुसलमानों द्वारा देकर अपराधी मीडिया को क्लीनचिट दी जा रही है. ZEE न्यूज़ ने सौदा सस्ते में निपटा लिया है. लॉकडाउन में घरमे बैठकर कोई काम धंदा नहीं है. तो कम से कम देश का नुक्सान होने से तो बचाया जा सकता है.


ZEE न्यूज़ ने सिर्फ एक अरुणांचल प्रदेश की खबर छपने के लिए खेद जताया है वह भी इसलिए के पूरा स्टेट उसके विरोध में आजाये तो उसको बोरिया बिस्तर ना बंधना पड़े. इतने में ही मुसलमान लोग उछल-कूद करने लगे. मुसलमानों इधर ZEE न्यूज़ का खेद वाला पोस्टर लेकर उछल-कूद में व्यस्त थे उसी दरमियान और -10 झूठी खबरे प्रसारित हुई है इसपर लोगों का ध्यान ही नहीं गया. और दूसरा नुकसान यह हुआ के एक तबलीगी जमात से जुड़े व्यक्ति ने ब्लेड से गला काटकर खुदखुशी कर ली है. क्यूंकि वह पोजिटिव होते हुए भी उसे निगेटिव बताया गया था. मुसलमानों से ओलेमा, लीडर, उच्च शिक्षित लोग और कई हिन्दू भाइयों द्वारा लाख समझाने पर भी ऐसी हरकतों से बाज आते दिख नहीं रहे. यह अफ़सोस की बात है………!


पत्रकार Wasim Akram Tyagi लिखते है, अगर किसी को लगता है कि जंगली जानवर सिर्फ जंगलों में ही इंसान का शिकार करते हैं, तो वह पूरी तरह सही नहीं है। भारतीय मीडिया के प्रोपेगेंडा युद्ध ने अब शहरों, गांवों में भी जंगली जानवर तैयार कर दिए हैं। जो किसी ग़रीब मजदूर मुसलमान को देखते ही उस पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हैं। यह वीडियो और इस तरह के और भी वीडियो इसका जीता जागता प्रमाण हैं। भाषा से लग रहा है कि यह वीडियो पश्चिमी यूपी या दिल्ली के किसी इलाक़े का है। इस देश के डाॅक्टरों के पास शारीरिक बीमारी का तो इलाज है, लेकिन दिल दिमाग़ को मानवता सिखाने वाला अध्यात्म अब इंसान को जानवर बनने से रोकने से नाकाम होता जा रहा है। कोरोना तो अब है, देश तो पहले से ही बीमार है।
Wasim Akram Tyagi 



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