VIDEO : What is the difference NRC NPR ? हमें 2020 मी क्या करना होगा ?

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What is the difference NRC NPR ? हमें 2020 मी क्या करना होगा ?

Census (जनगणना) की शरुवात 1881 में पहेली बार हुएई जब भारत आज़ाद हुआ तो जनगणना के लिये 1948 में उसके लिए The Census Act 1948 बनाया गया अब उसके अनुसार ही भारतीय जनगणना होती है। 2010 में 15वी जनगणना थी और 2020 में 16 वी जनगणना होगी ।जनगणना ये भारत मे रहनेवाले लोगो (शहरियों) को गिनने की एक प्रक्रिया है, ये एक गिनती का तरीका है जैसे के भारत मे इतने पुरुष है इतने इतने महिलाएं है इतने व्रद्ध है इतने बच्चे है इत्यादि। मगर इस मे कोई व्यक्तिगत जानकारी जैसे के कहा रहते थे क्या करते थे कब से रहते हो कहा रहने वाले हो कौनसे वर्ष पैदा हुए कौनसी जगह पैदा हुए या आप के माता पिता कहा और किस वर्ष में पैदा हुई ऐसी कोई माहिती नही ले जाती थी जो अब NPR में ली जाने वाली है ।*
 NPR (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर)
जब भारत पाकिस्तान  कारगिल युद्ध हुआ था तब सरकार ने एक कमिटी गठन की थी ये जानने के लिये आखिर पाकिस्तानी सैनिक किस तरह से घुस पैठ कर पाए  तब सरकारी रिपोर्ट्स में ये आया के कई घुसपैठिये भारत मे आय है। तो वाजपाई सरकार ने 2003 में NPR का प्रोविशन को भारतीय नगरी कायदा 1955 में संशोधन कर के 14 अ में इसको डाला और कई शहरों में पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ शहरों में NPR किया गया ।


बाद में उससे आधार कार्ड से जोड़ कर आधार कार्ड शहरियो से बनवाया गया ता के सरकार के पास पूरे नागरिको की लिस्ट हो और वो कहा रहते है उसके के बारे में माहिती हो।
NPR जब अप्रैल 2020 में होगा इसमें हमे सभी प्रकार की माहिती देनी होगी । इस मे हर गांव मोहल्ला एरिया शहर राज्य का रजिस्टर बनेगा फिर केंद्र की सोची में उस व्यक्ति को नागरिकता रजिस्टर में डाला जाएगा।NPR में अधिकारी को संपूर्ण अधिकार दिया गय है अगर उस अधिकारी को लगा के वह व्यक्ति डाउट फुल लगे तो उससे उस सोची से निकालने का अधिकार सरकारी अधिकारी को प्राप्त है ।
पूर्ण अधिकार उस अधिकारी को प्राप्त है और वो अधिकारी किसी को भी जवाबदा नही है उसके अलावा अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई कंप्लेन शिकायत करता है के तो उस व्यक्ति को (जिस के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई) उससे फिर अपने आप को भारतीय नागरिक व शहरी साबित करना होगा।
हमारे समाज मे ऐसे कई लोग है जो एक दूसरे से हसद जलन रखते है या दुश्मनी रखते है तो  वैसे लोग शिकायत दर्ज कराकर भी किसी को भी परेशान कर सकते है ।’क्यों के कंप्लेन करने पर भी उस व्यक्ति के खिलाफ करवाई कर उससे जवाब दही रखी गई है ।
अगर किसी भि कारण की वजह से सूची से आप का नाम निकल जाता है तो आप को डाउट फुल नागरिक की श्रेणी में डाल दिया जाएगा फिर अपने आप को साबित करते रहो के आप शहरी व नागरिक हो । डाउट फुल श्रेणी  वालो को फिर NRC की प्रक्रिया से गुज़रना होगा । NPR ही NRC का बेस बनेगा।


जैसा के किरण रिजिजू ने बताया था के हम NPR से मिलनेवाली जानकारी पर ही NRC लागू करेंगे ।
अगर कोई व्यक्ति डाउट फुल श्रेणी में आजयेगा तो उसके मतदान का अधिकार छीन लिया जाएगा जिस तरह से आसाम में हुआ है और हो सकता है उससे मिलने वाली मूलभूत अधिकारों से भी समाप्त किया जाएगा ।
जिस तरह आसाम में जो भी व्यक्ति डाउट फुल श्रेणी में था उसे पुलिस कभी भी उठा कर डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाता था उसके बाद उससे साबित करना पड़ रहा था के वो नागरिक है ।
जावड़ेकर जी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के बयान में उन्होंने बताया के NPR में किसी भी प्रकार के कागजात देने की ज़रूरत नही है और ना ही NPR का NRC से कोई कनेक्श है ना ही सरकार में NRC के बारे में कभी चर्चा हुई है
यह दोनों के बयान किरण रिजिजू और ग्रह मंत्री अमित शाह के बयान से मेल नही खाते क्योंकि अमित शाह जी ने भी कहा था के ‘क्रोनोलोगी समझे पहले NPR आएगा फिर NRC आएगा’ अब भगवान जाने दोनों में से कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ और इन लोगो की मंशा क्या है जो खुल कर उजागर नही हो रही है ।
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एड्वोकेट शेख बिलाल
नांदेड़, महाराष्ट्र

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