Vaccine की डबल डोज़ लगवा कर भी मर गए दस हज़ार डॉक्टर.!

Vaccine की डबल डोज़ लगवा कर मर गए दस हज़ार डॉक्टर.!

SD24 News Network – Vaccine की डबल डोज़ लगवा कर मर गए दस हज़ार डॉक्टर.!

ताकि सनद रहे ये समाज और कानून के राज्य के मुंह पर तमाचा नहीं लात है.! बाबा का दावा वैक्सीन की डबल डोज़ लगवा कर मर गए दस हज़ार डॉक्टर.! मानवता, समाज और कानून के प्रति खुला द्रोह है बाबा की कथनी करनी.. सिस्टम की सरपरस्ती से आपके दिवंगतों तक की खिल्ली उड़ा रहा..

– डॉ राकेश पाठक
योग के नाम पर भीमकाय औद्योगिक साम्राज्य खड़ा करने वाले एक विशुद्ध कारोबारी बाबा ने सारी हदें पार कर दीं हैं। ये धूर्त ,पाखंडी व्यापारी जीवित लोगों का ही नहीं मृतकों तक का मखौल उड़ाने से बाज नहीं आता। बाबा ने वै क्सीन लगवाने के बाद दस हज़ार डॉक्टरों की मौत का हैरतअंगेज दावा कर महामारी से जूझ रहे देश को हिला कर रख दिया है।

ये कारोबारी बाबा सभ्य समाज और कानून के राज्य के मुंह पर तमाचा नहीं लात मार रहा है।विडंबना ये है कि नपुंसक सत्ता इसके खिलाफ़ कानून का डंडा चलाने के बजाय उसके सामने शीर्षासन कर रही है। 
बताने की ज़रूरत नहीं कि कथित छप्पन इंच का पिलपिला सिस्टम इस महाठग का सरपरस्त है इसलिए हुक़ूमत इसके हर धतकर्म पर कपाल भाती करती है। 

दुर्भाग्य तो यह भी है कि समाज का बड़ा तबक़ा इस बाबा के हर अपराध पर कबूतर की तरह आंखें  मीच कर गुटरगूँ करता रहता है जबकि ये इसी समाज की तौहीन करता है।
बाबा के कारनामों की बहुत लंबी फेहरिश्त है लेकिन कोरोना काल में इसने सारी सीमाएं पार कर दीं हैं। एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की खिल्ली उड़ाने वाले इस बाबा का ताज़ा दावा है कि वै*क्सीन की डबल डोज़ लगवाने वाले दस हज़ार से ज्यादा डॉक्टर कोविड होकर मर चुके हैं।

इससे पहले बाबा ने दावा किया था कि एक हज़ार डॉक्टर मरे हैं।(ताज़ा वीडियो देखिये) इस भयानक बयान के बाद चंद सवाल पूछे जाने चाहिये।

एक – क्या भारत सरकार के पास कोई आंकड़ा है कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले कितने डॉक्टर्स की मौत हुई है?
अगर हां तो सरकार देश को आधिकारिक आंकड़ा बताये।
दो -क्या इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पास कोई आंकड़ा है कि दोनों डोज़ लेने वाले कितने डॉक्टर्स काल कवलित हुए हैं? अगर हां तो IMA सामने आए।

तीन -सरकार बाबा से कहे कि वो साबित करे कि दस हज़ार डॉक्टर वैक्सीन लेने के बाद मरे हैं। इनके नाम, पते, आधार नंबर बताये।
चार– कोरोना की पहली लहर में सरकार ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उसे नहीं मालूम कि कितने डॉक्टरों की मौत हुई है। तब आईएमए ने सूची जारी कर दी थी। तो क्या आईएमए वैक्सीन लेने के बाद हुई डॉक्टर्स की मौतों पर भी कोई सूची जारी करेगा?

पांच -क्या बाबा का दावा सरकार के वैक्सीन अभियान को पलीता लगाने का अपराध नहीं है?
छह – क्या सामान्य लोग बाबा के इस दावे के बाद भयभीत होकर वैक्सीन लगवाने से पीछे नहीं हटेंगे?
सात -क्या बाबा का बयान महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत अपराध नहीं है? है तो मुक़दमा क्यों नहीं?

इतने बड़े अपराध पर भी सत्ता का शीर्षासन
बाबा की कथनी करनी सभ्य समाज और कानून के राज्य में खुला अपराध है। महामारी काल में तो यह मानवता के प्रति भी द्रोह है।लेकिन विश्व की सर्वशक्तिमान सरकार ने क्या किया? 
सरकार के मंत्री बयान वापस लेने के लिये चिरौरी करते हुए एक आरोपी को चिट्ठी लिख रहे हैं। बाबा के महाझूठे दावों पर सीधे मुक़दमा दर्ज़ करने के बजाय पूरा सिस्टम कपाल भाती कर रहा।
‘सिस्टम’ के निर्लज्ज संरक्षण का ही नतीजा है कि बाबा जवाब में किंतु परन्तु करके उल्टे 25 सवाल और पूछ रहा है।

सच तो ये है कि जिस सरकार के मंत्री बाबा की संदिग्ध दवा को लॉन्च करने में शामिल हों उससे कोई उम्मीद ही बेमानी है। कोरोना की दवा कह कर प्रचारित उस दवा को WHO द्वारा प्रमाणित होने का दावा किया गया था और WHO ने फौरन इसका खंडन कर दिया था। निर्लज्जता की पराकाष्ठा ये है कि देश के स्वास्थ्य मंत्री ख़ुद एक डॉक्टर हैं और वे खीसें निपोर कर इस अप्रामाणिक दवा को जारी कर रहे थे।आईएमए ने इस पर भी लिखित आपत्ति की थी लेकिन धाक के पात तीन के तीन ही रहे।

सचमुच कानून का राज्य होता तो मंत्री की डॉक्टरी की डिग्री छीन ली गयी होती और इस फर्ज़ीवाड़े में शामिल सारे लोग सलाखों के पीछे होते।
मृतकों तक की खिल्ली उड़ा चुका है बाबा
सभ्यता,परंपरा,संस्कृति का दिन रात गौरवगान करने वाला समाज बाबा के मुंह से अपने दिवंगत परिजनों तक की बेइज्जती पर मौन है।
बाबा ने कुछ दिन पहले बहुत ही बेशर्मी से ऑक्सीजन से हुई मौतों पर क्रूर अट्टहास किया था। 

बाबा ने दावा किया था कि हमारे चारों तरफ़ ऑक्सीजन भरी पड़ी है फिर भी लोग ऑक्सीजन की कमी से मर गए। जिस देश में हज़ारों लोग ऑक्सीजन की कमी से तड़प तड़प कर मर गए उस देश के लोग इस निकृष्ट बयान पर भी मौन रह गए। आश्चर्य है।
हर गुनाह के बाद बच जाता है बाबा
बाबा के कारनामों की बहुत लंबी सूची है। उसके तमाम उत्पाद अमानक,मिलावटी सिद्ध होते रहते हैं। बाक़ायदा लिखत पढ़त होती है लेकिन उसका बाल बांका नहीं होता।

कोरोना की पहली लहर में बाबा ने इंदौर में अपनी दवा का ह्यूमन ट्रायल शुरू करवा दिया था। यह भी मानवता के प्रति अपराध था। इतने बड़े अपराध पर भी कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई। हर बार की तरह सत्ता के प्रत्यक्ष संरक्षण से बाबा बच निकला।
एक बात साफ़ समझ लीजिये
ये लड़ाई आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की नहीं है।ये विशुद्ध रूप से मानवता,समाज और कानून के समक्ष खुले अपराध की है। 
हम सब जानते हैं कि सिस्टम की बेशर्म सरपरस्ती के कारण ही मानवता के प्रति अपराध करने वाला छुट्टा घूम रहा है.. आगे भी घूमता ही रहेगा क्योंकि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर धँसाये पड़े हैं। खेद है।

Narendra Modi Amit Shah 
Swami Ramdev  Patanjali Products – पतंजलि उत्पाद 
Rahul Gandhi #ramdevbaba #SWAMIRAMDEV World Health Organization (WHO) 
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Arvind Kumar Dubey 

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