ये 1857 की क्रांति में तबाह हुआ मेरठ में 400 साल पुराना “अबु का मक़बरा” है। ये क्रांन्ति आज ही के दिन 10 मई को मेरठ में शुरू हुई, जिसमे लाखो हिंदू मुसलमान शहीद हुए।
अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह पहले से ही जारी था जिसमे कई बड़े लीडर और उलेमा शहीद हो चुके थे लेकिन 1857 में मंगल पांडे की शहादत के बाद आम जनता भी विद्रोह पर उतर आई। और सबसे पहला बड़ा विद्रोह उठा शहर मेरठ से।
क्रांतिकारी भीड़ ने मेरठ जेल पर हमला बोल कर अपने 836 साथियों को छुड़ा लिया और अंग्रेज अधिकारियों को क़तल कर दिया गया। अगले दिन 11 मई 1857 को सभी क्रन्तिकारी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर के पास मदद के लिये पहुंचे। बहादुरशाह ज़फ़र ने अपनी हुक़ूमत और तख़्त की परवाह किये बिना अंग्रेजी हुक़ूमत के खिलाफ जाकर क्रांतिकारियों की मदद की।दिल्ली में भी क्रांतिकारीयों ने अंग्रेजों पर हमला बोल दिया कई अंग्रेज अधिकारी मारे गए और जो बचे उन्हें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया।
लेकिन 4 जुलाई, 1857 को दोबारा अंग्रेजों ने अम्बाला से बटालियन मंगाई और मेरठ पर हमला बोल दिया गांव के गांव तोप से उड़ा दिए पूरे मेरठ में क़तल ओ आम कर दिया। लाखो आम किसान और आम जनता मारी गयी क्रांतिकारी नेताओ को पकड़ कर फांसी पर चढ़ा दिया गया।। #mughal_saltanat