संदिग्ध आरोपी इरफान को पहले मुसलमानों ने फाँसी की सजा सुनाई
फिर मरने के बाद कब्ररिस्तान में दफन ना करने की सजा सुनाई
अब उसके परिवार को शहर में ना रहने की सजा सुनाई
आरोप अभी सिद्ध नहीं हुई, सिर्फ जूते की सफेद सोल पर मामला चल रहा है, बच्ची ने अभी पहचान भी नहीं बताई है पता नहीं DNA TEST की रिपोर्ट आई की नहीं
बेशक अगर इरफान दोषी है तो बीच चौराहे पर सर काट दो हमारी इस्लामिक सजा के हिसाब से क्योंकि वो मुसलमान है वैसे तो शरियत को बदनाम किया जा रहा है, लेकिन शरियत की इस सजा को तो कूबूल कर लो न्यायाधीशों काट दो सर इससे बढ़कर और कुछ सजा मंजूर नहीं
ये जो मुसलमानों का पुरजोर विरोध हो रहा है ये विरोध नहीं, एक डर है हाँ सही सुना ये विरोध नहीं एक डर है
मुसलमान अब भारत में डर रहा है, बिना कोई अंतिम फैसले के इस तरह का विरोध करना एक डर है, ये डर उनसे है जो कटुवा में बलात्कारी को समर्थन कर रहे थे, वैसे वो समर्थक हिम्मती थे कम से कम उनके अंदर सच को झूठ बनाने की हिम्मत तो थी, मुसलमानों का ये विरोध हुकूमत का डर है
और ये विरोध मीडिया के डर से भी हो रहा है, ये विरोध इस डर से भी हो रहा है कि कहीं उन्हें देशद्रोही ना घोषित कर दिया जाये, डर से विरोध ये भी है कि कहीं कोई भीड़ चौराहे पर मार ना दे, बीचारे मरते मरते थक गए हैं अब सोचते हैं पक्के देशभक्त बन जाओ तभी जान बचेगी, खुद के बारे में इतनी बार आतंकवादी सुन चुके हैं कि अब लगता है जल्दी जल्दी विरोध करके राष्ट्रवादी बन जाओ
अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मुसलमान कायर बनता जा रहा है ये दिखाने में की इस्लाम इंसाफ परस्त है, अरे कायरों इस्लाम इंसाफ परस्त है जबसे इस्लाम दुनिया में आया, पूरी दुनिया इस बात से वाकिफ है, किसी को बताने की जरूरत नहीं है, जिनके डर से तुम विरोध कर रहे हो उन्हें ना तुम्हारा विरोध पसंद है ना तुम्हारा समर्थन पसंद है, अब सोचो तुम्हें क्या करना है
मैं इस बारे में कुछ लिखना नहीं चाहता था इतनी जल्दी, मगर जब परिवार को शहर बदर किया जा रहा है तब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ, और नये नये बन चले देशभक्तों पर कलम चल ही गई…