SD24 News Network
Lock Down : देश में ‘नया गरीब वर्ग’ उभरा है, 95% परिवारोंं की आजीविका छिन गई है
लॉकडाउन की वजह से नौकरियांं जाने की वजह से देश में एक ‘नया गरीब वर्ग’ उभरा है. इस नये वर्ग में करीब 95 प्रतिशत परिवारोंं की आजीविका छिन गई है. इसके अलावा लॉकडाउन ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले 98 प्रतिशत परिवारों की आय के साधन छीन लिए हैं. 97 प्रतिशत दिहाड़ी मजदूरों की आय बंंद हो गई है.
मिनिस्ट्री आफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की संस्था द नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स ने देश के 12 शहरों की झुग्गी बस्तियों में यह सर्वे किया है.
इतनी बड़ी संख्या में लोग गरीबी की तरफ जा रहे हैं. इससे बचाने के लिए सरकार के पास अभी सिर्फ यही प्लान है कि हमसे कर्ज ले लो.
लॉकडाउन को लेकर कुछ दिन पहले एक सर्वे आया था कि भारत ने दुनिया का सबसे सख्त, सबसे बेरहम लॉकडाउन लागू किया. क्या इस लॉकडाउन का कोई फायदा हुआ? बड़े पैमाने पर देखें तो कोरोना के प्रसार की गति धीमी करने में कुछ मदद मिली. लेकिन अगर आज लॉकडाउन खुलने तक 2 लाख केस हो चुुके हैं, 5500 मौतेंं हो चुुकी हैं, तो कहना होगा कि लॉकडाउन फेल हो चुका है. इस दौरान कोई कारगर रणनीति नहीं बनाई जा सकी. तीन दिन से हर रोज 8000 से अधिक नये केस आ रहे हैं.
एक तरफ महामारी और वैश्विक मंदी है, दूसरी तरफ हमारी सरकार की ओर से फैलाया गया अर्थव्यवस्था का रायता है. नोटबंदी का जो दूरगामी महान प्रभाव होना था, उसने अभी तक पीछा नहीं छोड़ा है. सरकार के पास इससे निपटने का कोई कारगर प्लान है, यह अभी तक तो नहीं दिखता. अब भी देश के अच्छे अर्थशास्त्रियों की नहीं सुनी जा रही है.
जो जबानी अच्छे दिन आए थे, क्या वे दुर्दिन में बदल चुके हैं?