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मैंने सोचा कि अब थोड़ा ट्रेंडिंग टॉपिक पर ही आर्टिकल लिख दूँ। लोग बड़े इंटरेस्ट से देखते और पढ़ते हैं । तो इस बहाने एक नई जानकारी में इजाफा भी होगा । वाइफ स्वैपिंग
सबसे पहले आपको बता दूं कि, मैं किसी भी ऐसे काम को सपोर्ट नही करता, जिसको हमारे मुआशरे मे हिकारत से देखा जाता हो या घटिया समझा जाता हो । पोस्ट में वाइफ स्वैपिंग की जो भी जानकारी दी जा रही है । वह आस पड़ोस में दिख रहे सोशल ट्रेंड के मुताबिक हैं।
वाइफ लफ्ज के मतलब से तो कोई अनजान नहीं है। स्वेपिंग मतलब अदला बदली। वाइफ स्वैपिंग का मतलब हुआ एक रात के लिए पतियों या पत्नी की अदला बदली। दोनो का मतलब मेरे हिसाब से एक ही होता है । और नाम भी वाइफ स्वैपिंग, लेकिन मैं नहीं चाहता कि लिबरल्स की डेफिनेशनो और उनके नॉलेज साइंस के मुताबिक, मैं नारीवादियों के खिलाफ खड़ा दिखूं इसलिए वाइफ स्वैपिंग को हम पतियों की अदला बदली बोलेंगे।
पिछली 4–5 पीढ़ियों से मॉडर्न माहौल में पढ़े बढ़े लड़के लडकियाँ अपने माँ बाप को हल्के लेवल की फिल्में, TV सीरियल, और हल्के लेवल की बाते करते देख कर बढ़े हुए।
पीढ़ी दर पीढ़ी तरजोअमल में और किरदार में हल्कापन काबिले कबूल होता चला गया।
लड़कियों के बीच लड़कों को तो बदकिरदार माना ही जाता था । फिर उसी को लेकर एड मेकर्स, बॉलीवुड फ़िल्म मेकर्स इन जैसों ने समाज मे एक माहौल बना दिया – व्हाई शुड ओनली बॉयज हैव फन।
लड़कियों की रीजनिंग पावर ने तो पूरा काम ही कर दिया, के हम ही क्यो ठेका ले पतिव्रता होने का।
नस्ल दर नस्ल लड़कियों में भी अपनी माँ, बुआ, मौसी वगैरह की बातों को उनके दुख दर्द और कहानियों को सुनते हुए खुलापन आता गया।
40–50 साल पहले छोटे शहरों में और गांवों में जिनाकारी यानी फोर्निकाशन आसान लफ्जो में रखैल सिस्टम और दीगर हल्के किस्म के तालुकात देखने सुनने में नहीं आते थे।
सिर्फ एलीट क्लास और बड़े शहरों में ही हर तरीके की जिनकारी, बदकारी, बेहयाई होती है ऐसा माना जाता था ।
लेकिन अब लड़का और लड़की चाहे शहर से हों या गांव से यह मान कर चलता है, कि उसके हमसफर ने कुछ तो कांड किये ही होगें।
रही सही कसर सोशल मीडिया के जोक्स ने पूरी कर दी, कि सच्ची सहेली वही जो दुल्हन के SIM और मोबाइल को ठिकाने लगा दे, या दोस्त वही जो मोबाइल को फैक्ट्री रिसेट कर दे।
अब तो बदकिरदारी एक सामाजिक नाम नेहाद लिबरल मुआशरे की पहचान बन चुकी हैं, और क्यों न हो ऐसा ? इल्म व साइंस पर डिपेंड नास्तिकता से भरी मान्यता में जिंदगी का मतलब सिर्फ फाइव सेंस का पूरा मजा लेना हैं। फिर वाइफ स्वैपिंग भी मजे लेने का ही जुगाड़ हुआ ।
कोई भी अगर इस सोच में यकीन रखेगा तो जाहिर है वह हर तरह के फाइव सेंस के मजे हासिल करने की कोशिश करेगा। और शादी के बाद अदला बदली वाइफ स्वैपिंग के मजे लेगा ।
अब मसाला यह हैं कि बार बार शादी किसी अक्लमंद के लिये प्रैक्टिकल नहीं हैं। पत्नी को पति से सुख नही वो पड़ोसी के सपने देखती है । पति को पत्नी से सुख नहीं और वो पड़ोसन के सपने देखता हैं।
तो वाइफ स्वैपिंग नाम का सेफ सलूशन अमेरिका या यूरोप में कभी किसी जिनाकार, बड़किरदार, लोगों के गिरोह ने मिलकर निकाला होगा कि भाई आपस मे अदल बदल कर लो । नो स्ट्रिंग्स अटैच्ड। रात को वाइफ स्वैपिंग सुबह वापिस अपने अपने घर।।
जब तक दिल लगे बढ़िया, नहीं तो और कपल को इस खेल में शामिल कर लो। वेस्टर्न कल्चर वालों के लिए आसान था। क्योंकि वो पहले ही डार्विनवाद और नास्तिकता के पुजारी थे। एक जिंदगी – वो खत्म !! फिर कोई पाप नही , कोई पुण्य नहीं। नेकी नही गुनाह नही ।
आहिस्ता आहिस्ता भारत मे भी वाइफ स्वैपिंग जैसी सोच की मान्यता बढ़ती गयी । और शुक्रिया अदा करिए वेब सीरीज का जो सिर्फ और सिर्फ वाइफ स्वैपिंग, इसका टाका उसके साथ, उसके नाजायज तलूक इसके साथ जैसे सब्जेक्ट पर ही बनती है। यह सीरीज़ भी वाइफ स्वैपिंग जैसी मान्यता को कायम कर रहीं है ।