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BIHAR BREAKING : 22 जिले से 32 सीटें लड़ेगी AIMIM
AIMIM बिहार मे चुनाव लड़ने के लिए 22 जिलों को चुना है, 32 सीट के लिए पहली लिस्ट बना चुकी है, और Quarantine हुए लोग भी विरूद्ध मे पोस्ट लिखने को बेताब है पिछले लोकसभा मे देखे ही थे पुरा महागठबंधन लुटिया डुबो दी थोक मे मुस्लिम वोट मिलने के बावजूद। इससे साफ पता चलता है कि तथाकथित सेक्युलर पार्टियों को मुस्लिम वोट के अलावा दुसरे समाज से सिर्फ चवन्नी के भाव मे वोट मिल रहा है 2014 से लगातार। तो फिर इन तथाकथित सेक्युलर पार्टियों को वोट देने से क्या फायदा। ऐसे भी बीजेपी को 6 साल से झेल ही रहें हैं। कम से बेरोजगार हर समाज के लोग हो रहें है।
ऐसे मुस्लिम को ज्यादा क्या नुकसान होगा जो पहले ही हो चुका है? हर पार्टी वोट दे दे कर गद्दी पे बैठा ही लिए। लेकिन जब जुल्म होती है ये पार्टी भी तो ख़ामोश ही रहती है। हिन्दू तुष्टीकरण मे लगभग हर पार्टी ख़ामोश है। तो फिर अपना वोट इन लुटेरों को देकर बर्बाद करने क्या जरूरत। दिल्ली मे थोक के भाव मे केजरीवाल मुस्लिमों का वोट चूस रहा है बदले मे क्या दिया जलील और रुसवाई ही।
दिल्ली दंगा मे पांच दिन खामोश रह कर इफेक्टेड एरिया मे लोगों के दर्द दुःख बाटने के बजाए गांधी के समाधी पे जाकर नौटंकी किया। और क्रोना को लेकर तबलीग़ जमात पर करवाई कराने के लिए इतनी तत्परता दिखाई कि मानो सेंट्रल की पुलिस को हैंडल ये ही कर रही है। हजारों धोखेबाजी, फरेबी कर के कई सालों से मुस्लिम समाज को धोखा ही मिला। UAPA, NIA जैसे बिल तो कांग्रेस की ही देन है उसे बीजेपी संसदीय पावर के दम पर थोड़ा शख्त कानून बना दी। उस वक़्त भी संसद मौन समर्थन दिया ही, तीन तलाक़ के मामले मे साल भर इस समाज को टीवी के माध्यम से जलील कर के संसद के माध्यम से कानून बना ही दिया गया।
इसमे भी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन ही रहा। NRC के मामले मे भी यही हाल, 370 के मामले मे भी वही हाल, राम मंदिर के फैसले पे सभी सेकुलर गिरोह उल्लास के साथ फैसले के स्वागत किया है। अब कितना उदाहरण चाहिए लोगों को। 6 साल से झेल ही रहे हैं आगे भी झेल लेंगे। आग से खेलना मुकद्दर है तो क्यो ना इससे ही बचने के लिए अपना शाख व बाजू क्यों ना मजबूत किया जाए। वैसे तथाकथित सेक्युलर विधायकों को जिता क्या फायदा उन्हें वैसे भी अमित शाह के शुटकेस के आगे बीछ ही जाना है।
MIM कराकर्ता अशरफ जोहा