ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ….।
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई …..।
बहार आने से पहले फिजां चली आई ।
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ।
खुशी की चाह में मैं ने उठाये रंज बड़े ।
खुशी की चाह में मैं ने उठाये रंज बड़े ।
मेरा नसीब के मेरे क़दम जहाँ भी पड़े ।
ये बदनसीबी मेरी भी वहाँ चली आई ।
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ।
उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है ।
उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है ।
न हमसफर है कोई और न कोई मंज़िल है ।
ये ज़िंदगी मुझे लेकर कहाँ चली आई ।
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ।
बहार आने से पहले फिजां चली आई ।
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ।
RELATED POSTS
View all