प्रभारी निरीक्षक के निर्देश पर उप निरीक्षक युवराज सिंह ने चेकिंग के दौरान सलाउद्दीन पुत्र फरजु को 12 बोर के चार कारतूस के साथ दबोच लिया था। सलाउद्दीन को गिरफ्तार कर धारा-25 शस्त्र अधिनियम के तहत उसका चालान कर दिया गया। इसके बाद वह 20 दिन जेल में रहा ओर बेल मिलने पर रिहा हुआ। तत्कालीन डीएम से अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति लेकर विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। मुकदमे की सुनवाई सीजेएम कोर्ट में हुई।
मुस्लिम होने की सजा पूरे 26 साल, वरना सलाहुद्दीन थे तो बेगुनाह
SD24 News Network – मुस्लिम होने की सजा पूरे 26 साल, वरना सलाहुद्दीन थे तो बेगुनाह
शामली के एक किसान को कारतूस रखने के आरोप से मुक्ति पाने में 26 साल लग गए। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उसे बरी कर दिया। उसे 26 साल में 250 से अधिक कोर्ट की तारीखें भुगतनी पड़ी। पैरवी में ही जिंदगी की आधी कमाई चली गई। कोर्ट की दौड़ में पैर के अंगूठे में चोट लगी, जो गैंग्रीन में बदल गई है। 8 सालों से वह इस जख्म को लेकर जिंदा हैं। किसान का कहना है कि पारिवारिक रंजिश के चलते उसे झूठा फंसाया गया था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ठाकुर जगपाल सिंह ने बताया कि वर्तमान में शामली जनपद के कस्बा बनत निवासी सलाउद्दीन पुत्र फरजु को मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली पुलिस ने 1995 में चुंगी नंबर दो के समीप मिमलाना रोड से गिरफ्तार किया। 12 बोर के चार कारतूस बरामदगी का आरोप पुलिस ने लगाया था। अभियोजन के अनुसार, 15 जून 1995 को तत्कालीन शहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक पीएन सिंह को सूचना मिली थी कि कुछ लोग मिमलाना रोड साइड से अवैध हथियारों के साथ आ रहे हैं।
पेश की गई चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए 17 जुलाई 1999 को सलाउद्दीन पर आरोप तय कर दिए। जिसके बाद फाइल सुबूत में चली गई। कोर्ट ने अभियोजन को सलाउद्दीन के विरुद्ध सुबूत पेश करने के लिए समय दिया। कई बार पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद अभियोजन आरोपी के विरुद्ध सुबूत नहीं जुटा सका। कोर्ट ने 20 साल बाद आठ अगस्त 2019 को सुबूत का समय समाप्त किया। इस तरह 20 वर्ष में भी आरोपी के विरुद्ध कोर्ट में सुबूत पेश नहीं किया जा सका। यहां तक कि माल मुकदमा भी कोर्ट में पेश नहीं किया गया।
अभियोजन साक्ष्य का समय समाप्त होने के बाद सीजेएम कोर्ट में आरोपी के धारा-313 के तहत बयान लिया गया। सलाउद्दीन ने आरोपों को निराधार बताया। इसके बाद दोनों पक्षों की सुनवाई कर सीजेएम मनोज कुमार जाटव ने आरोपी सलाउद्दीन को संदेह का लाभ देते हुए 10 नवंबर को बरी कर दिया।
62 साल से अधिक आयु के सलाउद्दीन का कहना है कि उसकी आधी जिंदगी मुकदमे की पैरोकारी और फिक्र में गुजर गई। बताया कि वह छोटा किसान है और पारिवारिक रंजिश के चलते उसे झूठा फंसवाया गया था। बताया कि पूरे मुकदमे के दौरान उसने 250 से अधिक तारीख भुगती। सलाउद्दीन ने कहा कि केस लड़ने के लिए शुरुआत में 1500 रुपए में वकील किया था। हर तारीख पर 50 रुपए खर्च होते थे। इसके बाद महंगाई बढ़ी तो हर तारीख का खर्च 500 रुपए बढ़ गया। इस तरह मुकदमे की पैरोकारी में जिंदगी की आधी कमाई लग गई।
अभियोजन अधिकारी गंगाशरण का कहना है कि समीक्षा की जा रही है कि आखिर कहां चूक हुई। यदि पर्याप्त साक्ष्य होंगे तो निर्णय के विरुद्ध उच्च अदालत में अपील करेंगे।
सभार दैनिक भास्कर
2 Comments
La mejor aplicación de control parental para proteger a sus hijos – monitoriza en secreto GPS, SMS, llamadas, WhatsApp, Facebook, ubicación. Puede monitorear de forma remota las actividades del teléfono móvil después de descargar e instalar apk en el teléfono de destino. https://www.mycellspy.com/es/
Esto puede ser molesto cuando sus relaciones se interrumpen y no se puede rastrear su teléfono. Ahora puede realizar esta actividad fácilmente con la ayuda de una aplicación espía. Estas aplicaciones de monitoreo son muy efectivas y confiables y pueden determinar si su esposa lo está engañando.