समाजवादी पार्टी ने अपने लम्बे राजनीतिक इतिहास में कभी भी भाजपा से हाथ नहीं मिलाया. सरकार बनाने के लिए कभी भी सपा ने भाजपा से कोई भी समझौता या गठबंधन नहीं किया. ऐसे में अगर सपा भाजपा के किसी प्रस्ताव का समर्थन कर दे तो कान तो खड़े हो ही जाने चाहियें. कुछ इसी तरह की बात हुई है लेकिन असल में सपा ने जो भाजपा का समर्थन किया है वो इस तरह का है कि जिसमें भाजपा खुद भी फँस जाए. असल में भाजपा के नेता बार बार ये कहते हैं कि “एक राष्ट्र एक चुनाव” होना चाहिए.
यानी कि पूरे देश की सभी विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हों. अब इसको लेकर जानकार कहते हैं कि ये व्यवहारिक नहीं है क्यूंकि अगर एक साथ चुनाव हों और किसी राज्य में बहुमत ही न लाये कोई पार्टी तो क्या फिर से चुनाव नहीं होंगे, या कोई सरकार बीच में गिर जाए तो क्या होगा. ऐसे में कई जानकार इसे सही नहीं मान रहे हैं. ऐसे में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की इस योजना को समाजवादी पार्टी का समर्थन मिल गया है. सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं लेकिन ये योजना 2019 में ही लागू की जानी चाहिए.
राम गोपाल यादव ने कहा,”समाजवादी पार्टी एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में है, लेकिन यह 2019 से ही शुरू होना चाहिए। सपा ने साथ ही यह भी कहाकि दल-बदल और खरीद-फरोख्त पर भी अंकुश लगना चाहिए।” असल में सपा नेता का बयान भाजपा को फंसाने वाला है. अब अगर भाजपा इस बात को मान ले तो उसे देश के सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य को दो ही साल में छोड़ना होगा. स्थिति भी इस तरह की है कि अगर आज उत्तर प्रदेश में चुनाव हो जाए तो जीत सपा-बसपा गठबंधन की ही होगी. ऐसे में भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि वो इसमें खुश हो या फिर नाखुश.
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