अगर गलती से भी कर लिया इन चीजों सेवन तो घर में हो सकता है किन्नर बच्चे का जन्म, मेडिकल साइंस भी कर चुका है पुष्टि
नई दिल्ली। किन्नर समाज का वह श्रेणी है जिन्हें हमेशा से ही अगल नजर से देखा जाता रहा है। आज भी लोग इन्हें देखकर हसते हैं या कानाफूसी करते हैं या इन्हें देखते ही लोग अपना रास्ता बदल लेते हैं।
लोगों के मन में किन्नरों को लेकर आज भी तरह-तरह के सवाल आते हैं, जिनके बारे में जानने की उनमें तीव्र उत्सुकता होती है। इनमें एक सवाल बेहद कॉमन है और वह ये कि आखिर ये पैदा किन वजहों से होते हैं? एक मां के पेट से बच्चा किन्नर कैसे पैदा होता है? आखिर मां-बाप से ऐसी भी क्या गलती हो जाती है जिससे कि उनके घर एक किन्नर का जन्म होता है?
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों किन्नर का जन्म होता है? इस बात को जानने के बाद आप हमेशा इन बातों का ध्यान रखेंगे और इन गलतियों को करने से बचेंगे।
किन्नर मेडिकल साइंस के अनुसार, महिला के गर्भवती होने के तीन महीने के अंदर ही गर्भ में पल रहे शिशु का विकास होना प्रारंभ हो जाता है।
इस दौरान शरीर के अंदर कई तरह की हारमोनल चेंजेस होते हैं जिससे बच्चे के किन्नर पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। बता दें, गर्भावस्था के बाद का तीन महीना काफी अहम होता है। कभी-कभार मां को बुखार की समस्या भी होती है जिससे राहत पाने के लिए कई बार हम अपनी जानकारी के मुताबिक कोई भी दवा ले लेते हैं।
इन दवाओं के हैवी डोज का असर मां के गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसीलिए गर्भावस्था में गलती से भी हैवी डोज की दवाईयां न लें। किन्नर प्रेग्नेंट महिला को अपने खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। इस समय केमिकली टिट्रेड या पेस्टिसाइड्स वाले फल और सब्जियों का सेवन ना करना ही बेहतर है।
प्रेग्नेंसी में व्यायाम या एक्सरसाइज जरूर करें, लेकिन बस इतना ध्यान रखें कि कही शरीर में चोट न लगे और अगर ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें क्योंकि एक छोटी सी चोट बच्चे के जेंडर पर बुरा असर डाल सकता है। इन सबके अलावा अगर मधुमेह, थायराइड या मिर्गी जैसी किसी भी समस्या से ग्रस्त होने पर इस बारे में डॉक्टर से खुलकर बात करें। हालांकि कभी-कभार सावधानियां बरतने के बावजूद घर में किन्नर बच्चे का जन्म होता है और ऐसा होना जेनेटिक डिसआॅर्डर के अन्तर्गत आता है।
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