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जानिये 21 वर्षीय साध्वी के है लाखो भक्त और कई राज भी

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हम सभी का जीवन लगभग पढ़ाई, लिखाई, नौकरी और परिवार के ईर्द-गिर्द ही घूमता रहता है, लोगों की पूरी उम्र निकल जाती है, लेकिन वो अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाने में पीछे छूट जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इन सब से ऊपर आते हैं। आज हम एक ऐसी शख्सियत के बारे में बात करेंगे जिसने सिर्फ अपने मन की सुनी और इस दुनिया की रीति रिवाज को तोड़ कर आज सभी के बीच चर्चे में बनी हुई हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं साध्वि जया किशोरी के बारे में जो सिर्फ 21 साल की हैं और फिर भी उनके भक्तों की संख्या लाखों में है। आपको बता दें, जया किशोरी राजस्थान के सुजानगढ़ की रहने वाली हैं।
इनका जन्म एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में 1996 में हुआ। घर में पूजा-पाठ का माहौल था, तो बचपन से ही जया का झुकाव कृष्ण भक्ति की ओर रहा। उम्र के नवें साल में ही जया संस्कृत में लिंगाष्टकम्, शिव-तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम् आदि स्तोत्र गा लेती थीं। हैरानी की बात तो यह है कि केवल 10 साल की उम्र में ही जया किशोरी ने अपना जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया था, लेकिन जया की पढ़ाई चलती रही। वो कोलकाता के महादेवी बिड़ला वर्ल्ड एकेडमी से पढ़ी हैं। जया ने शुरुआती दीक्षा पं गोविंदराम मिश्र से ली थी। वो जया को राधा कहकर बुलाते थे,कृष्ण के प्रति प्रेम को देखते हुए जया को ‘किशोरी जी’ की उपाधि दी थी।
अब वह अपने भक्तों के बीच जया किशोरी के नाम से जानी जाती हैं। जया किशोरी अपने भक्तों के बीच कितनी प्रसिद्ध हैं, इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब वो ‘नानी बाई का मायरा, नरसी का भात’ नाम से सत्संग करती हैं, तो लाखों की भीड़ जुटती है। फेसबुक पर साध्वी ‘जया किशोरी जी’ के पेज पर 8 लाख से ज्यादा लाइक हैं और लगभग 9 लाख लोग उन्हें फॉलो करते हैं। सूत्रों के अनुसार जया किशोरी के सत्संग से जो भी पैसा इकट्ठा होता है, उसे नारायण सेवा ट्रस्ट, उदयपुर को दान कर दिया जाता है। इस दान में मिले पैसे को ट्रस्ट विकलांगों की मदद करता है।
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