मुस्लिम लड़के ने गीता पर क्विज़ जीता,500 सालों से शिव की मंदिर का देखभाल कर रहा मुस्लिम परिवार,ला वारिस हिन्दू शवों का 40 साल से अंतिम संस्कार कर रहा एक मुस्लिम ।” मतलब कोई मुस्लिम अगर हिन्दू समुदाय के लिए कुछ करता है तो उसकी जय जय कार होती है।मुस्लिम की जय कार नहीं अपने धर्म की जय कार होती है। इसके उलट आप देखिए आज की तारीख के हिसाब से।अगर किसी हिन्दू ने हज़रत मोहम्मद या अली के बेटे हुसैन के बारे में लिख दिया तो बवाल हो जाएगा।देश के 99 फीसदी हिन्दू तो जानते ही नहीं कौन है अली या कौन है करबला में इंसानियत के लिए जान गँवाने वाले हुसैन।लेकिन आप पूछिये एक मुस्लिम से राम,कृष्ण या विष्णु के बारे में सब बता देंगे ।
ये देश तो अभी तक इस्लाम का झंडे की पहचान नहीं कर पाया है। कुछ लोगों की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि उसे पाकिस्तानी झंडा मान लिया गया।रायपुर शहर में हुसैन की याद में पानी की कीमत को बताने एक प्याऊ लगाया गया,इस पर इतना बवाल हुआ कि उसे मिटाने पड़ा। इतना तो अक्ल है हम हिंदुओं की! अब सर्फ़ एक्सेल के एड को ही ले लीजिए। महज़ एक विज्ञापन जिसमें दिखाया गया है कि एक मासूम लड़की अपने मुस्लिम दोस्त को सही सलामत नमाज़ के लिए मस्जिद छोड़ने सारा रंग खुद पर उड़ेलवा लेती है। बाद में मुस्लिम दोस्त को बोलती है “रंग पड़ेगा”। सर्फ़ एक्सेल ने यह एड इसलिए बनाया कि जो नफरत और भाईचारा खत्म हो रहा है देश उसकी कीमत समझे। लेकिन क्या हम समझ पाए.बहुत छोटे दिल के हो गए हैं ,हम लोग। मेरे जैसे लोगों के लिए घुटन भरा वक़्त है। पिछले चार -पांच साल इंसानियत रोज मरी है । प्लीज् अब मत मरने दीजिए। आपसे हाथ जोड़ता हूँ!
Prashant Tandon कुछ साल पहले एक कॉलेज में जर्नलिज़्म की क्लास लेने गया. क्लास में मुस्लिम छात्रों के हाथ खड़े करवाए और दो से पूछा दीवाली क्यों मनाई जाती है. दोनों ने सही बताया. फिर बाकी छात्रों से पूछा कि ईद क्यों मनाई जाती है, रमज़ान में रोज़े क्यों रखते हैं एक भी हाथ नहीं खड़ा हुआ. पढ़ाने से पहले इसी पर भाषण दिया कि बाकी दुनिया की छोड़िए आपकी क्लास में अगर पांच मुस्लिम हैं तो उनके बारे में क्यों नहीं जानेंगे. मैं इस कमी के लिये शिक्षा व्यवस्था को कम और परिवारों को ज्यादा दोषी मानता हूँ.
Prashant Tandon कुछ साल पहले एक कॉलेज में जर्नलिज़्म की क्लास लेने गया. क्लास में मुस्लिम छात्रों के हाथ खड़े करवाए और दो से पूछा दीवाली क्यों मनाई जाती है. दोनों ने सही बताया. फिर बाकी छात्रों से पूछा कि ईद क्यों मनाई जाती है, रमज़ान में रोज़े क्यों रखते हैं एक भी हाथ नहीं खड़ा हुआ. पढ़ाने से पहले इसी पर भाषण दिया कि बाकी दुनिया की छोड़िए आपकी क्लास में अगर पांच मुस्लिम हैं तो उनके बारे में क्यों नहीं जानेंगे. मैं इस कमी के लिये शिक्षा व्यवस्था को कम और परिवारों को ज्यादा दोषी मानता हूँ.
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