मुस्लिम पिता-बेटे ने बिना मजदूरी लिए 100 दिन में बनाया मंदिर

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मध्य प्रदेश के इटारसी जिले के केसला से एक ऐसी घटना सामने आई है जो पूरे देश के लिए धार्मिक सद्भाव का उदाहरण है. केसला में राजगीर और दिहाड़ी मजदूरी का काम करने वाले मुस्लिम पिता-पुत्र ने बिना एक पैसा लिए मंदिर बनाने के लिए 100 दिन तक काम किया. इसके बाद मंदिर बनवाने वाली महिला इतना खुश हो गई कि मजदूर पिता-पुत्र के नाम एक एकड़ ज़मीन ही कर दी.
क्या है पूरा मामला?
केसला में रहने वाली पेशे से टीचर सावित्री उइके मदर्स डे पर माता का मंदिर बनवाकर अपनी स्‍वर्गवासी मां की आखिरी इच्छा पूरी करना चाहती थीं. उन्होंने मुस्लिम कारीगर पिता-पुत्र रहमान और रिजवान को मंदिर बनाने का काम सौंपा था. वक़्त कम था और मंदिर बनकर तैयार होना ज़रूरी था.
100 दिन तक लगातार किया काम
रहमान और रिजवान ने बिना एक दिन भी छुट्टी लिए 100 दिन लगातार काम करके मंदिर बना दिया. सावित्री तब हैरान रह गईं जब दोनों ने मजदूरी लेने से भी इनकार कर दिया. सावित्री इससे इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने अपनी छह एकड़ जमीन में से एक एकड़ इनके नाम करने का ऐलान कर दिया है. बीते शनिवार को मंदिर में प्रतिमा की स्थापना कराई गई और रहमान और रिजवान का तिलक भी किया गया.
एक हिंदी अखबार से बातचीत में सावित्री ने बताया कि उनकी मां भागवती शिवलाल ने 35 साल पहले गांव में मढ़िया बनाकर ईष्ट देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित की थी. उन्होंने ही यहां मंदिर बनवाने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन कुछ व्यस्तताओं के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था.
सावित्री ने बताया कि उनकी जब आंगनबाड़ी में नौकरी लगी थी तो उन्‍होंने पहली तनख्वाह से माता का चबूतरा बनवाया था. सरकारी स्कूल में नौकरी लगी थी तो पहला वेतन मढ़िया के जीर्णोंद्धार पर खर्च किया था. माता-पिता का पिंडदान करते समय वादा किया था कि खुद का घर बनाने से पहले सिद्धिदात्री मैया का मंदिर बनवाकर मां की इच्छा पूरी करूंगी. सावित्री ने बताया कि उन्होंने जमापूंजी में से 5 लाख रुपए मंदिर के लिए दान दिए, जिससे निर्माण कार्य पूरा हुआ है.


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