देश किसी प्रधानमंत्री का नहीं होता, उनका होता है जिन्होंने आपको चुनकर संसद में भेजा है

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देश किसी प्रधानमंत्री का नहीं होता। देश नागरिकों का होता है। जिन नागरिकों ने आपको चुनकर संसद में भेजा है, उन्हीं नागरिकों से आप नागरिकता साबित करने को कहें, इसका आपको अधिकार ही नहीं है। लोगों ने नागरिक की हैसियत से ही आपको चुना है। यह याद रखिये कि नागरिक इस देश के मालिक हैं और आप नौकर हैं।
दूसरी बात, आप कह रहे हैं कि जो कानून पास हुआ है वह भारत के बारे में है ही नहीं, वह तो पड़ोसी देशों के बारे में है। तो इसका जवाब यह है कि पड़ोसी देश आपके मौसिया का घर नहीं है। आपने उनके लिए भारत की नागरिकता का ही प्रावधान किया है। और जब भारत की नागरिकता आप धर्म के आधार पर तय करेंगे तो यह भारत के मूल विचार के ही खिलाफ है।

आप कह रहे हैं कि कोई बाहर से आया है और वह गैर मुस्लिम है तो उसे कोई कागजात नहीं देना है या अपनी पहचान साबित नहीं करनी है। लेकिन अगर वह मुस्लिम है तो उसे साबित करना पड़ेगा। यही समस्या है।
इस नए कानून से असम के जो 13 लाख हिन्दू एनआरसी से बाहर हैं वे स्वतः भारत के नागरिक हो जाएंगे, लेकिन जो 6 लाख मुसलमान बाहर हैं वे बाहर ही रहेंगे। बाहर के पीड़ित को भारत लाया जाए, उन्हें नागरिकता दी जाए, इससे किसी को कोई समस्या नहीं है। लेकिन आप खेल कर रहे हैं।
यह नया कानून अंग्रेजों का वह सपना पूरा करने वाला है कि इस देश को धर्म के आधार पर बांट दो और अनंत काल तक राज करो। यह कानून इस देश के साथ छल प्रपंच से ज्यादा कुछ नहीं है।

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