हम भी देखेंगे तु कैसे हमे इस सर जमींन से बेदखल करेगा ?
इस देश का हर कोई इंसान मुस्लिमो के हक के लिए सडक पर दौडा चला आएगा !
तु तेरी नफरत कि जंजीरे जितनी चाहे फैलाने कि कोशिस करते रहना,
हम भी देखेंगे इस नफरत भरी जंजीर को तबाह नही किया तो देख लेना वरना!
सभी का खून है इस मिट्टी मे,
इस बात को गौर से याद करलेना चाहिए तुम्हे!
ओ मौत हि क्या जो डर लगे मरने मे लडते-लडते,
बिसमिल्ला, भगतसिंग, सुखदेव और राजगुरु भी बनेंगे संविधान कि किताब पढते-पढते!
तुम जात-पात धर्म पर लढाने कि राजनिती मत करना,
हम बिलकूल भी नही निकलेंगे इस देश से क्या उखाडलोगे उखाड लेना!
सुबह कि निंद को जगाने मे बहुत मददगार होती है इनकी नमाज,
कभी देखा है घर आए मेहमान को मेहमानी करते हुए इनका मिजाज!
जबतक हमारी सांसे चलेंगी लढते रहेंगे इनके हक्क मे,
कभी डरे थे ना डरे है और नाहीं डरेंगे हम भी खेलेंगे होली इस मंजर मे!
हम देखलेंगे……