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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गायों और गौशालाओं को भले ही प्राथमिकता में रखते हुए भले ही कई नियम बनाए और अलग से बजट का प्रावधान किया लेकिन वहां हालत इतनी बदतर है कि गायों को कुत्ते खा रहे हैं.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में गायों के बजट और सरकार के आदेश पर अधिकारियों ने ऐसा पलीता लगाया कि प्रदेश में गायों और गोवंशों की हालत बद से बदतर होती चली गई. गो-सदन और गौशालाओं के नाम पर कई जिलों में जानवरों को ऐसी जगह बंद कर दिया गया जहां गर्मी, बारिश और ठंड मे सिर छुपाने के लिए छत नहीं, पीने के लिए पानी नहीं, खाने के लिए ठीक से चारा नहीं. नतीजा ये है कि जानवर वहीं पर मरने के लिए मजबूर हो गए जहां उनके सबसे सुरक्षित होने का दावा किया गया.
जेल से बुरे हालात: यूपी के बांदा जिले में हालात इतने बदतर हैं कि गौशालाओं में जानवरों के पीने के लिए पानी और खाने के लिए भूसे का इंतजाम ही नहीं है. जिले में दो सौ से ज्यादा शेल्टर्स हैं. जिन्हें जिला प्रशासन की देख-रेख में गांव के प्रधान या बांदा जिले का नगर निगम चलाता है. हर जगह गांववाले मानते हैं कि इससे बेहतर तो ये होता कि इन बेजुबान जानवरों को सड़क पर ही रहने दिया जाता.
चारे में घोटाला: दो सौ से ऊपर शेल्टर्स के लिए दिसंबर महीने में सरकार ने खाने पीने की व्यवस्था के लिए 2,71,56,600 रुपये का भुगतान किया. लेकिन पता चला कि कागजों में दिखाई संख्या से बेहद कम जानवर शेल्टर्स में मौजूद हैं.
बांदा जिले के मवई बुजुर्ग गांव में मौजूद शेल्टर में 275 जानवरों के लिए भुगतान किया गया जबकि वास्तव में यहां पर दो सौ जानवर भी नहीं थे. इसी तरह नारायणी इलाके के नगर निगम के शेल्टर मे 65 जानवरों के लिए पेमेंट किया गया जबकि असल में यहां 28 जानवर ही थे.
जिंदा गोवंशों को नोचकर खाते हैं कुत्ते: शेल्टर्स के भीतर जानवरों को मरने से पहले ही कुत्ते नोंचकर खा जाते हैं. कई शेल्टर्स गांवों के बाहरी इलाकों में बने हैं. जहां रात में सियार भी कमजोर और बीमार जानवरों को जिंदा खा जाते हैं.
बांदा जिले के मवई बुजुर्ग इलाके में बने शेल्टर में आजतक की टीम की आंखों के सामने ही जिंदा और बीमार पड़े गोवंशों को कुत्ते खा रहे थे. ऐसे ही करीब एक दर्जन जानवरों की लाशें बिखरी थीं लेकिन ना तो वहां कोई इनकी देखभाल करने के लिए था और ना ही खाने-पीने की कोई व्यवस्था.
कमजोर हुए जानवर: गांववालों ने बताया कि कुत्ते पहले बीमार घेरकर गिरा लेते हैं, फिर भूख से कमजोर गायों जिंदा ही नोंचकर खाते हैं. शेल्टर होम में बाउंड्री के नाम लगी जाली को जानवर तोड़कर भागने की कोशिश करते हैं. इन्हीं रास्तों से आवारा कुत्ते और सियार घुसकर जिंदा जानवरों का शिकार करते हैं.