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पाकिस्तान में कुछ होता है तो तुम तुरंत फुदक के निकल आते हो, मज़म्मत करके देशभक्ति साबित करने । तुम्हे पाकिस्तान में होने वाली घटना से क्या मतलब है , तुम क्यों सफाई देते हो ? एहसास कमतरी से कब निकलोगे मेरे भाई ? बाकी कुछ सोचने बोलने से पहले यहां अपनी हालत तो देख लो | पाकिस्तानी अल्पसंख्यक मात्र 4 % हैं पर उनमें इतनी हिम्मत है के 96 % मुस्लिम का डर नहीं रखते । 4 महीने से एक प्रेम प्रसंग के मामले में भीड़े हुए हैं । ऐसा क्यों है ?क्यों वह लड़ पाते हैं, क्या तुम लड़ पाते हो जब मुस्लिम लड़कीयां यहां हिन्दू लड़के से प्रेम विवाह कर लेती है कितने ऐसे उधारण दूं ,एक नुसरत जहाँ तो तुम्हारे छाती पर रोज़ मूंग दलती है?
हाई कोर्ट में उस लड़की ने कहा है के वह इस लड़के से प्रेम करती है और इसके साथ जिना चाहती है। फिर भी पूरी सिख communuty बेहद कम तादाद हो के भी लड़ पाती है क्यों ? तुम 25 करोड़ हो के ऐसे मामले में एक आवाज़ निकालने की हिम्मत नहीं ला पाते । फर्क समझो ! उनको वहां इतनी आज़ादी है जो तुमको यहां नहीं है , सिखों को पता है सरकार उनका साथ देगी उपद्रवी मुसलमान होगा तो भी उसको पकड़ेगी , सारे के सारे मुस्लिम उसके साथ खड़े हो जायेंगे और पत्थर चलाने वाले नपेंगे । यह उनका भरोसा है ,उनको पता है के उनके खिलाफ दंगे नहीं होंगे इसलिए ही तो वह बोल पाते हैं जो तुम यहाँ नहीं बोल पाते ।
जहाँ तक मेरी बात है मैं पाकिस्तान में पैदा होता तो मेजोरिटी मुस्लिम के साथ खड़ा होता जिसके वजह से उपद्रवी को माफ़ी मांगनी पड़ी है और कारवाई भी हुई है। यहां ऐसा होगा ? या बलात्कार के समर्थन में तिरंगा निकलेगा ? अभी यहां मदरसों के बच्चे को नंगा कर के मार के बलात्कार हुआ है पुलिस/ सरकार द्वारा ,कितने लोग बोल रहे हैं ,क्या करवाई हुई है ? ऐसा किसी अल्पसंख्यक के साथ पाकिस्तान में संभव है ? तो फिर एहसास कमतरी से बाहर निकलो भाइयो ,पाकिस्तान का हिसाब पाकिस्तानी दे आप क्यों देते हो ? पाकिस्तानी सिख लड़की का मामला बिलकुल केरल के हदिया वाला है, हदिया की तरह ही वहां भी लड़की के अभिभावक लड़की को लड़के से छुड़ा के ले आएं हैं , जिसके वजह से बहस हुई और फिर झड़प ।
किसी भी हालत में किसी भी देश के अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ अगर ज़ुल्म हो तो उसके लिए लड़ना चाहिए, अल्लाह खुद क़ुरान में कहता है के अगर मैं एक को दूसरे से रोकता नहीं तो मंदिर मस्जिद गिरजाघर सिंगोग तोड़ दिए जाते । आप को सफाई देनी है तो पुरानी दिल्ली में मंदिर में जो क्षति पहुंचाई गयी उस की निंदा कर , पटना में जब अभी मुस्लिमों पर हिन्दू उपद्रवीयों ने गोली चलाई ,जान गयी तो लौटते लौटते एक छोटा मंदिर निशाने पर आ गया ,क्यों ,इसकी क्या ज़रूरत है ,इससे मिलेगा क्या? बंटवारा हो चूका है , तुम्हे निंदा करनी है तो भारत में गुस्से में होने वाली ऐसी घटनाओं की करो क्योंकि यह तुम्हारा मामला है ,इसकी ज़िम्मेदारी तुम पर है ,इसको रोको ,यहां चुप्पी रखो और पाकिस्तान पर बोलो यह कैसे बात ?
ला इलाहा इलल्लाह हक़ से बोलो और इसको सदाकत अच्छाई के तौर पर स्थापित करो ,कमज़ोरों के हक़ का इसको नारा बनाओ।सेक्युलेरिस्म झाड़ना सिर्फ़ तुम्हे कमज़ोर करेगा । इधर उधर की फ़िक्र छोड़ कर अपने मुद्दों पर जमे रहो । तुम खुद इतने डरे सहमे हुए हो के तुमने खुल कर ला इलाहा बोल पाने की हिम्मत को खो दिया है और पाकिस्तान की फ़िक्र लिए बैठे हो । सुन लो यहां अपनी हालत ,एक न एक दिन इन्डियन आर्मी आप पर मुसल्लत की जायेगी चाहे जितना बचना चाहो । चाहे कांग्रेस आये कोई सरकार आये जाए यह एक हकीकत है, इस मुश्किल को आप जन गण गा के ,पाकिस्तान मुर्दाबाद कह के नहीं हल कर पाएंगे ।
क्योंकि इनको गाने के बाद भी इन्डियन आर्मी आप के पीछे छोड़ी जायेगी । ऐसे हालात में मुकाबला करने का जज़्बा सिर्फ़ और सिर्फ ला इलाहा इलाहा ला सकेगा । इसको पकड़ो इधर उधर की फ़िक्र का अभी वक़्त नहीं ,इसको छोड़ दिया तो जेनोसाइड हो जायेगा यहां मुसलमानों का ,इसकी फ़िक्र करो और भारत में जहाँ सिख भाइयों पर ज़ुल्म हो उनका साथ दो , जैसे 84 के दंगे उनके ख़िलाफ़ हो तो उनके लिए आवाज़ उठाओ । मैं यह कहना चाह रहा हूँ के यहां का देखो , पाकिस्तान तुम्हारी ज़िम्मेदारी नहीं है ।