SD24 News Network
जस्टिस काटजू ने लिखा के शाहीनबाग नासूर बन चूका है,यह नहीं लिखा के CAA NPR NRC नासूर बन चूका है। दूसरी पोस्ट में लिखते हैं के शाहीनबाग को फोर्स से ख़त्म कर देना चाहिए यानी बैठी औरतें बच्चों को मार पीट के ठिकाने लगा देना चाहिए।
यह अजीब सा सेक्युलरिज़्म है। जहाँ मुसलमान मारे जाने पर चीखे भी नहीं, मुस्लिमों पर मुस्लिम होने के वजह से क्या क्या ज़ुल्म हो रहा है इसको बोले भी ना ,क्योंकि नहीं तो सेक्युलरिज़्म खतरे में पड़ जाएगा। आप का दर्द भसड़ कहलायेगा देश विरोध कहलायेगा ।आप से सेक्युलर तबका को यह उम्मीद है के आप दर्द बयान न करें बल्कि अपने बच्चों को कृष्णा बनायें या शिवा जी के कपड़े पहना के सेक्युलरिज़्म का सर्टिफिकेट हासिल करें ।
हिन्दू और मुस्लिम होने पर जो अलग अलग व्यव्हार देश में हो रहा है उस पर मुँह न खोलें चुपचाप मार खाते रहे ,यही लिबरल तबका मुस्लिमों से उम्मीद करता है।
मेरे प्यारे हिन्दू भाई छोड़ो सेक्युलरिज़्म को ,इंसानियत भी तो कोई चीज़ है , सब इंसान तो उसी ईश्वर द्वारा बनाये गए हैं,एक जैसा खून और मांस है शरीर में। फिर क्या आप को खुद उन चीजों को आगे नहीं करना चाहिए जहाँ मुस्लिम से भेदभाव हो रहा हो । क्या आप को इस्लामोफिबिक मीडिया के ख़िलाफ़ नहीं खड़े होना चाहिए जहाँ किसी भी पढ़े लिखे मुसलमान को( वीडियो काट छांट के) मीडिया ट्रायल द्वारा दुश्मन करार दे दिया जा रहा है।
यह वक़्त मुस्लिमों को सेक्युलरिज़्म सिखाने का नहीं बल्कि उनकी पहचान के लिए लड़ने का है,उनको अपने धर्म अपने कपड़े अपने कल्चर के साथ जीने के अधिकार के लिए लड़ने का है।
क्या आप को भी अपने इलाकों में शाहीनबाग नहीं बना देना चाहिए था ताकि आप के भाई पर कोई सरकारें ज़ुल्म न कर पाए ?
असली भाईचारा तो यही है मेरे भाई, बाकी तो सिर्फ़ नारे हैं।
-Shadan Ahmad