जेल काटी, परिवार टूटा, बेघर लावारिस है कारसेवकों का हीरो-दंगाईयों का अंजाम

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खबर पुरानी है लेकिन आज के हालात को देखते हुए दोबारा पब्लिश की जा रही है. तो हुआ यूँ, राम मंदिर आंदोलन से जुड़कर कभी नौजवानों के हीरो बने सुरेश चंद्र बघेल आज बेघर हैं। (Suresh Chandra Baghel, who once became the hero of the youth after joining the movement, is homeless today.) परिवार टूट गया है। पत्नी मायके में रह रही है। घर बिक चुका। अपना कोई ठिकाना नहीं। अब एक गोशाला में रहकर जीवन बिता रहे हैं। कभी उन्हें हाथोंहाथ लेने वाले हिंदूवादी नेता आज पूछते भी नहीं। हालांकि सुरेश अब भी कहते हैं कि मैं राम भक्त हूं। (Although Suresh still says that I am a Ram devotee.) सब कुछ उनके लिए किया। दुख बस इस बात का है कि कभी मुझे आगे रखकर सियासत चमकाने वाले लोग अब पहचानते भी नहीं हैं।

गौरा नगर कालोनी, वृंदावन के निवासी सुरेश चंद्र बघेल (Suresh Chandra Baghel, resident of Gaura Nagar Colony, Vrindavan) की आज भले ही अपनी कोई पहचान नहीं रह गई हो लेकिन राम मंदिर आंदोलन (Ram temple movement) के शुरूआती दौर में वे कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में पहचाने जाते थे। वर्ष 1990 में तेइस वर्ष का यह नौजवान इस आंदोलन से जुड़ा। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के भाषणों की एक-एक लाइन आज भी सुरेश को याद है। (Suresh still remembers one line of speeches by LK Advani, Murali Manohar Joshi and Uma Bharti.)

सुरेश ने राम मंदिर के लिए शुरू हुई कारसेवा में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। अपनी एक नौजवानों की पूरी फौज तैयार कर ली थी और उस वक्त नौजवानों के हीरो बन गए थे। उनकी एक आवाज पर राम नाम के जयकारों से इलाके गूंजने लगते थे। (On one of his voices, the area used to resonate with shouts like Ram.) राम का यह भक्त उस वक्त प्रदेश भर में चर्चा में आया जब डायनामाइट की छड़ी लेकर अयोध्या पहुंच गया। पुलिस ने सुरेश को गिरफ्तार कर लिया और आरोप लगा कि वह ढांचे को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहे थे। उनकी गिरफ्तारी की खबरें उस वक्त मीडिया में सुर्खियां (Media headlines) बनीं। लंबी चौड़े इंटरव्यू छपे। हिंदूवादी नेताओं ने भी सुरेश को एक बड़े युवा नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया। (Projected as a big youth leader.)


सुरेश बघेल कुछ दिन फैजाबाद की जेल में रहे बाद में लखनऊ शिफ्ट कर दिया गया। सुरेश पर एनएसए लगा और टाडा के तहत भी कार्रवाई हुई। (Suresh was charged with NSA and action was also taken under TADA.) चौदह महीने से भी अधिक समय तक जेल में रहे। जमानत पर बाहर आए तो फिर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। लेकिन मदद को कोई हिंदूवादी नेता नहीं आया। (But no Hinduist leader came to help.) सुरेश से जब बात की गई तो उनका कहना है कि वह सच्चे रामभक्त हैं। सियासत के लिए कारसेवा नहीं कर रहे थे। अपने राम के लिए कर रहे था। आज सुरेश का परिवार टूट गया है। पत्नी मायके में रह रही हैं। घर भी नहीं बचा है। (Today Suresh’s family is broken. Wife is living in maiden. There is no home left.
) अब वह एक संत बनकर गोशाला में रहकर जीवन यापन कर रहे हैं।

आडवाणी संग दी थी गिरफ्तारी
सुरेश चंद्र बघेल ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने आडवाणी के साथ गिरफ्तारी दी थी। (Arrested with Advani.) उस वक्त आंदोलन से जुड़े हिंदूवादी संगठनों के सभी शीर्ष नेता उन्हें पहचानते थे। (He was recognized by all the top leaders of Hinduist organizations.) लेकिन जब पुलिस ने पकड़ा तो कोई मदद को नहीं आया। किसी ने यह भी नहीं पूछा कि सुरेश कहां और किस हाल में रह रहा है। 

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