CoronaVirus का डर व्यापारिक नीति का एक हिस्सा है, हजार गुना दंगो में मारे गए लोग

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वायरस दर वायरस : कभी पाकिस्तान-हिंदुस्तान, कभी हिंदु-मुस्लिम, कभी दंगाफसाद तो अक्सर आतंकी के नाम पर डराया जाता है और इसी के साथ-साथ हवन, गोबर व मूत से इलाज करने का दावे किये जाते हैं। कोरोना नामक वायरस का डर उसी व्यापारिक नीति का एक हिस्सा है, मास्क लाखों की संख्या में बिकने लगे हैं, निकाब की नुक्ताचीनी करने वाले खुद निकाब पहनने लगे हैं। कोरोना वायरस से उतनी मौतें नही हुई हैं जितनी गंगा नदी का पानी पीने, पदयात्राओं के दौरान व सडक हादसे में होती हैं।

हर साल की तरहं इस बार कोरोना वायरस का सीजन है, करोना का जितना डर फैलाया गया है’ उतने लोग मरे नही हैं। परन्तु गोबर खाने व मूत पीने की सलाह देने वालों के फतवे आने शुरू हो गये हैं। ।
कोरोना वायरस को लेकर Myth
Myth- मांसाहार ना किया जाए यानि शाकाहारी-वैष्णव बनो, ताकि अधिक से अधिक मांस निर्यात किया जा सके। जबकि अभी तक कोई ऐसी रिपोर्ट जारी नही हुई कि कोरोना के संवाहक मुर्गे, बकरे, अंडे व खुद मनु-ष्य हैं। Myth- शराब पीने वालों को कोरोना नही होगा.. देसी हथकड शराब पर सरकारी पाबंदी है, अगर स्वदेशी विदेशी वाइन पूरा परिवार व गली मुहल्ले के लोग पियेंगे तो….

हालांकि ऐसा कुछ साबित नही है’ हाँ अल्कोहल से हाथ वगैरह धोना फायदेमंद है क्योंकि अल्कोहल तेजी से इसके वायरस के विरूद्ध काम करता है या वायरस नशे में धुत होकर वहीं दम तोड देता है। Myth- चीन में कोरोना से पीड़ित लोगों के जॉम्बी की तरह घूमने के वीडियो वायरल हो रहे हैं या ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं कि चीन ने कई कोरोना पीड़ितों को गोली मार दी,
अफवाहें प्रधान देश में अफवाह नामका वायरस बहुत तेजी से फैलती हैं, इस पर गोबर-मूत व गोबर-मूत को खाने-पीने की सलाह देने वाले गायब हो जाते हैं, जबकि चीन में ऐसा कुछ भी नही है’ कोरोना से death होने का प्रतिशत मात्र 3.4% है जबकि सोर्स, मार्स वायरस का 10% के आसपास था,

फिर कोरोना को लेकर विश्वस्तर पर इतनी अफरातफरी क्यों???
वायरस बहुत रैपिड है और बड़ी तेजी से अपनी चपेट में लेता है, अभी तक कोई विशेष दवा ईजाद नही हुई जिसकी वजह से घबराहट है, क्योंकि अधिकतर वायरस अपने को मजबूत कर लेते हैं। कहीं ऐसा न हो यह वायरस भी अपना DNA बदल कर मजबूत न हो जाये और ज्यादा खतरनाक हो जाये..
HIV वायरस अक्सर ऐसा ही करता है
होम्योपैथी, आयुर्वेद के पास कोई इलाज नही इसका क्योंकि 100 मरीजों में से 3.4 लोग ही मरे हैं यानी 96.6 लोग ठीक हो जाते हैं। जिसका फायदा टेढ़े जबडे व बंदबुझ आंख वाले रामदेव कानिया जैसे दलाल’ गिलोय तुलसी गोमूत व गोबर से उठाना चाहते हैं, हाथ मिलाने,, भीड़ भाड़ में जाने से बचें, लिक्विड ज्यादा लें, फल सेक कर खायें, साफ सफाई रखें, रोज नहाये और नानवेज खाएं और गोबर-मूत खाने-पीने की सलाह देने वालों से परहेज़ करें।

फेसबुक पर अवतरित, संकलित संस्कृत परिष्कृत शुद्धिकृत यानि कांटझांट की हुई और व्यंग्य सहित
अपौरुषेय-बाणी #बाबाराजहंस
(डिस्क्लेमर – लेखक राजहंस धनका एक सामाजिक कार्यकर्ता है, यह उनके निजी विचार है, किसी भी आपत्ति दावे के लिए SD24 जिम्मेदार नहीं)

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