CAA देश के हिंदुओं को उल्लू बनाने के लिए लाया गया कानून है -कृष्ण कांत
जिस दिन CAB संसद में पेश हुआ और सीएए बना, उसके कुछ दिन पहले से मैं इसके बारे में लगातार पढ़ रहा हूं। जहां जो मिल रहा है, पक्ष-विपक्ष सब देख रहा हूं।
किसी विदेशी प्रताड़ित को नही नागरिकता
सरकार कह रही है कि वह सीएए के जरिये तीन पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता दे रही है। लेकिन कमाल देखिए कि सीएए के तीन पन्ने के मसौदे में “पड़ोसी देश” “प्रताड़ित” “धार्मिक अल्पसंख्यक” और “रिफ्यूजी” जैसे शब्दों/पदों का कहीं जिक्र ही नहीं है।
इसमें कोई शक नहीं है कि किसी देश में कोई प्रताड़ित है तो उसे भारत की नागरिकता मिलनी चाहिए। लेकिन यह बिल एक धोखा है। यह कानून देश के हिंदुओं को उल्लू बनाने के लिए लाया गया है। यह बिल सिर्फ एक काम करता है। भारत के लोकतंत्र को धर्मनिरपेक्ष से धार्मिक बनाकर पाकिस्तान के बराबर जाहिल देशों की कतार में खड़ा करता है।
भारतिय संविधान का मूल चरित्र बदलता है कानून
यह कानून सिर्फ भारतीय संविधान का मूल चरित्र बदलता है और देश में हिन्दू मुसलमान का बंटवारा करता है। इस कानून के जरिये सरकार ने यह उपाय किया है कि भारत में नागरिकता का आधार धर्म होगा।इस कानून के जरिये भारत की उस मूल भावना पर चोट की गई है, जिसे 1957 से लेकर 1947 के बीच लाखों लोगों की कुर्बानी देकर गढ़ा गया था।
मैं इस बिल की आलोचना सिर्फ इसलिए नहीं कर रहा हूं कि यह मुसलमानों के साथ भेदकारी है, बल्कि इसलिए कर रहा हूं कि हिंदुओं से कहा जा रहा है कि अपना घर फूंक दो तो पड़ोसी का भी जल जाएगा।
यह काम सामान्य बुद्धि का मनुष्य नहीं करता। यह काम या तो कोई सनकी करता है या जो पागल हो चुका हो। मैं बस कामना कर सकता हूं कि ईश्वर हमारे देश के लोगों को सद्बुद्धि दे!
-Krishna Kant