रंजन गोगोई का राज्यसभा में मनोनयन असंवैधानिक, जानिये वह कैसे ?
नई दिल्ली : देश में चल रहे उथल पुथल पर देशभर में आक्रोश का वातावरण है, उसपर दिल्ली हिंसा के बाद Corona Virus का कहर, इस बिच पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा में मनोनीत किये जाने के बाद से सोशल मीडिया पर घमासान मचा हुआ है. लोगों का न्यायपालिका से भी विशवास उठ चुका है. पूर्व चीफ जस्टिस ने भी रंजन गोगोई के राज्यसभा मनोनीत करने पर सवाल उठाया है की, ‘क्या अब आखरी किला न्यायपालिका भी ढह गया है?’ इसका मतलब कुछ और भी महत्वपूर्ण स्तम्भ भी ढह चुके है. इस विषय पर कानून के जानकार और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात इन्होने आर्टिकल 80 की व्याख्या करते हुए रंजन गोगोई का राज्यसभा में मनोनीत किये आने को असंवैधानिक बताया है और भी क़ानूनी जानकारों से व्याख्या की अपील की है.
संवैधानिक प्रश्न है कि क्या रंजन गोगोई साहब को राज्य सभा में मनोनीत करना आर्टिकल 80 के प्रावधान के अनुसार सही है क्यूं कि इसकी उपधारा 3 के अनुसार केवल उन्हीं 12 लोगों को राष्ट्रपति मनोनीत कर सकते हैं जो साहित्य, विज्ञान, आर्ट, और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष जानकारी अथवा व्यवहारिक अनुभव रखते हों । इसकी परिधि में कोई सेवा निवृत्त न्यायाधीश नहीं आते। ये पद सरकारी लाभ के पद हैं ।
मेरे विचार में संविधान निर्माताओं की मंशा केवल उन्हीं लोगों को मनोनीत करने की थी जो उपर्युक्त श्रेणी के लोग इस के पात्र तो होते हैं मगर चुनाव के द्वारा राज्यसभा नहीं आ सकते हैं।
रंजन गोगोई साहब की विधिक योग्यता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता और अगर कल किसी राजनीतिक दल के द्वारा वे भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी बनाए जाएं तो भी किसी भी विधिक रूप से यह गलत नहीं होगा मगर राज्यसभा में उन को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत करना आर्टिकल 80 के प्रावधानों के विपरीत लग रहा है।
संविधान विशेषज्ञ इसकी व्याख्या करेंगे ,ऐसी आशा है।
याद हो कि इसके पूर्व कांग्रेस जॉइन कर पहुंचे थे राज्यसभा 21वें चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और वे 1998 से 2004 तक राज्यसभा सांसद रहे। गोगोई की तरह रंगनाथ मिश्रा को राष्ट्रपति ने नामित नहीं किया था। उन्हें सीधे तौर पर कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था। जस्टिस मिश्रा 1983 में सुप्रीम कोर्ट जज बने। फिर 1990 में चीफ जस्टिस बने। फिर 1991 में रिटायरमेंट के 7 साल बाद उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी।
पढ़ें आर्टिकल 80 भारत का संविधान
Article 80 in The Constitution Of India
80. Composition of the Council of States
(1) The Council of States shall consist of
(a) twelve members to be nominated by the President in accordance with the provisions of clause ( 3 ); and
(b) not more than two hundred and thirty eight representatives of the States and of the Union territories
(2) The allocation of seats in the Council of States to be filled by representatives of the States and of the Union territories shall be in accordance with the provisions in that behalf contained in the fourth Schedule
(3) The members to be nominated by the President under sub clause (a) of clause
( 1 ) shall consist of persons having special knowledge or practical experience in respect of such matters as the following, namely: Literature, science, art and social service
(4) The representatives of each State in the council of States shall be elected by the elected members of the Legislative Assembly of the State in accordance with the system of proportional representation by means of the single transferable vote
(5) The representatives of the Union
Territories in the council of States shall be chosen in such manner as Parliament may by law prescribe
(उपरोक्त आर्टिकल के लेखक असद हयात कानून के जानकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता है, यह उन्ही के विहार है)