BJP 7 Star Office बनवा सकती है, तो 6 साल में एक एम्स क्यों नहीं बनवा सकी?

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BJP 7 Star Office बनवा सकती है, तो 6 साल में एक एम्स क्यों नहीं बनवा सकी? 
आप मेडिकल सुविधाओं पर सवाल करेंगे तो काई आकर भारत के बड़े देश होने और विशाल आबादी का रोना रो देता है. ऐसे लोगों को भारत के अतीत की ओर पलट कर देखना चाहिए.

जब भारत आजाद हुआ तब इसके हिस्से में भयानक गरीबी, अशिक्षा और आर्थिक दरिद्रता आई थी. 82 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर थी. अकाल, महामारी भारत में आम बात थी. इतिहासकार बिपन चंद्र के मुताबिक, आजादी के कुछ ही समय पहले यानी 1943 में बंगाल में अकाल पड़ा था जिसमें करीब 30 लाख मारे गए थे.
भारत आजाद हुआ ​तब एक आम भारतीय औसतन 32 साल का जीवन जीता था. आज यह 65 से 70 साल है. उस समय की साक्षरता दर ऐसे समझिए कि लगभग पूरा भारत निरक्षर था. आज साक्षरता दर 76 प्रतिशत से अधिक है. उस समय भारत आर्थिक रूप से एक दरिद्र देश ​था, जिसे तीन सदी तक लूटा गया था. आज यह महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है.

बिपन चंद्र के मुताबिक, 1943 में ​देश में सिर्फ 10 मेडिकल कॉलेज थे जो मात्र 700 डॉक्टर तैयार करते थे. 1951 की गणना के मुताबिक, देश में कुल 18000 डॉक्टर थे. अस्पतालों की संख्या 1915 थी जिनमें 1,16,731 बिस्तरों की संख्या थी. ज्यादातर शहरी इलाके बिना बिजली पानी के थे.
आज क्या भारत का आर्थिक रूप से वही हाल है जो नेहरू के समय था? क्या आज भारत एम्स जैसे अस्पताल बनाने लायक नहीं है, जैसा नेहरू ने किया? तब देश भर में आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्कूल खोले जा रहे थे? आज क्या हालत है?

आज भारत में कुल 26,000 सरकारी अस्पताल हैं जिनमें से 21,000 ग्रामीण क्षेत्रों में और 5,000 शहरी क्षेत्रों में हैं. देश के सभी सरकारी अस्पतालों में कुल 7.1 लाख बिस्तर हैं. राष्ट्रीय स्तर पर भारत के सरकारी अस्पतालों में औसतन 1700 लोगों के लिए एक बिस्तर उपलब्ध है. भारत में डॉक्टरों की उपलब्धता का औसत 10,000 लोगों पर एक डॉक्टर का है. यह हाल तब है जब भारत सरकार कुल जीडीपी का मात्र 1.03 % स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करती है.
इसलिए हमको जटिलता का ज्ञान न दीजिए. जो ज​टिलता इस देश ने देखी है और जिस तरह उठ खड़ा हुआ है, उसका शायद आपको अंदाजा तक नहीं है. तब नेता जिस जिम्मेदारी से काम कर रहे थे, उसका चार आना भी इनमें आ जा

आप सवाल पूछना कि सत्ताधारी पार्टी अपना सेवन स्टार दफ्तर बनवा सकती है तो 6 साल में एक एम्स क्यों नहीं बनवा सकी? यह सवाल पूछिए कि प्राइवेट लैब में कोरोना परीक्षण होगा तो उसका दाम 4500 क्यों रखा गया है? महामारी के समय भी सरकार लूट का दरवाजा क्यों खोल रही है?
-पत्रकार कृष्ण कान्त

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