पिनरायी विजयन, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, तीन मुख्यमंत्री जो संकट की इस घड़ी में नेतृत्व की मिसाल पेश कर रहे हैं. इनके काम को न केवल दूसरे राज्यों की सरकारें बल्कि कुछ मामलों में केंद्र सरकार भी मिसाल के तौर पर ले रही है
आम तौर पर संकट की घड़ी में ज्यादातर राज्य सरकारें केंद्र सरकार पर आश्रित हो जाती हैं. कोरोना वायरस की वजह से आई आपदा के दौरान भी कई राज्य ऐसा ही कर रहे हैं. लेकिन भारत के कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री ऐसे भी हैं जो संकट की इस घड़ी में नेतृत्व की मिसाल पेश कर रहे हैं. वे केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाने के साथ-साथ कई बार महत्वपूर्ण पहल करने के मामले में उससे आगे जाते दिख रहे हैं. उनकी ऐसी कुछ पहलों को बाद में केंद्र सरकार भी अपना रही है. लाॅकडाउन का निर्णय इन्हीं में से एक है. केंद्र सरकार ने एक दिन के जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी. लेकिन इस कर्फ्यू के खत्म होने से पहले ही कई राज्यों ने अपने यहां 31 मार्च तक लाॅकडाउन करने की घोषणा कर दी थी. जब केंद्र सरकार ने 21 दिनों के लाॅकडाउन की घोषणा की तब तक 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने यहां इसका एलान कर चुके थे.
उद्धव ठाकरे
विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र में जो राजनीतिक घटनाक्रम चला उसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गये. कहा जाता है कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दबाव में उन्हें यह पद स्वीकार करना पड़ा. उद्धव ठाकरे की छवि अनिच्छुक राजनेता की ही रही है. महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने से पहले वे न तो कभी विधायक-सांसद रहे और न ही किसी विभाग के मंत्री. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि जब वे मुख्यमंत्री बने थे तब उनके पास किसी भी तरह का प्रशासनिक अनुभव नहीं था.
उन्हें मुख्यमंत्री बने हुए चार महीने भी नहीं हुए और उनका राज्य कोविड-19 के मरीजों के मामले में पूरे देश में पहले नंबर पर पहुंच गया. अब इस समस्या से निपटने के मामले में वे जो सूझबूझ दिखा रहे हैं उसकी चारों तरफ तारीफ हो रही है. यहां तक कि दूसरे राज्यों के लिए उनके कामकाज को एक मिसाल के तौर पर पेश किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कोरोना वायरस पर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की तो उसमें पूरी तैयारी और स्पष्ट रणनीति के साथ आने वाले गिने-चुने मुख्यमंत्रियों में उद्धव ठाकरे भी शामिल थे.
केंद्र सरकार की ओर से लाॅकडाउन की घोषणा किये जाने से पहले ही उद्धव ठाकरे ने चरणबद्ध तरीके से इसे महाराष्ट्र में लागू कर दिया. इलाज के मामले में भी उन्होंने मिसाल पेश की. वे कदम-कदम पर स्थिति की माॅनिटरिंग में लगे रहे और अस्पतालों का दौरा भी करते रहे. पुणे के माइलैब ने कोरोना वायरस की जो टेस्टिंग किट बनाई है, उसकी जांच करके उसे इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार पर उन्होंने लगातार दबाव बनाया. लोगों से घर से बाहर नहीं निकलने के लिए वे अलग-अलग मंचों से लगातार अपील कर रहे हैं. जब महाराष्ट्र में कोविड-19 के मरीज मिलने लगे तो उन्होंने हर दिन महाराष्ट्र के लोगों को संबोधित करके सही स्थिति की जानकारी दी. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में उन्होंने निजी क्षेत्र के बड़े कारोबारियों से भी समन्वय करके यह प्रबंध किया कि वे भी अपने संसाधनों का इस्तेमाल इस लड़ाई से लड़ने में करें.
उन्होंने आम लोगों को यह आश्वस्त किया कि जरूरी चीजों की कमी नहीं होने दी जाएगी. जिन लोगों को खाने की दिक्कत है, उन तक खाना पहुंचाने के लिए उद्धव ठाकरे सरकारी स्तर पर प्रयास करने के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की भी मदद ले रहे हैं. दूसरे राज्यों के जो मजदूर महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं, उन राज्यों की सरकारों को भी उद्धव ठाकरे ने आश्वस्त किया है कि उनके रहने और खाने की चिंता महाराष्ट्र सरकार की है और इसके लिए जरूरी बंदोबस्त किए जाएंगे.