रोटी की तलाश में सड़कों पर निकल पड़ा भूख से बेहाल देश का भविष्य
21 दिन का लॉक डाउन को कई रायन ने बढ़ा कर 30 अप्रैल तक कर दिया है. 21 दन के लॉक डाउन के दरमियाँ कई सारी खबरें भुखमरी की आई है । अब परिस्थिति और भी चिंताजनक हॉट जा रही है. भुखमरी की खबरों ने तूल पकड़ा हुआ है । काम-धंदा बंद होने और मेहनत मजदूरी का काम ना मिलने से चित्रकूट की गरीब बस्तियों का चुल्हा जलना बंद हो गया है ।
चित्रकूट जिला मुख्यालय के विद्यानगर और चमड़ा मंदी में रहने वाली आशा, सुनीता और कलावती इन्होने बताया की, लॉक डाउन के चलते हमें और हमारे पतियों को कहीं भी काम नहीं मिल रहा है । जो पैसे जमा थे वह खर्चा हो गए है. अब हमारे पास पैसे नहीं है । भूख से बेहाल बच्चे सारी रात रोते बिलखते है, सरकार और जिले के अधिकारी कहते है घर में रहो बाहर मत निकलो, लेकिन हम क्या करें ? खुद और बच्चों का पेट भरने के लिए इधर उधर भटकना पडरहा है । सुनीता और कौशल्या ने बताया है की, शहर से गुजर रहे पुलिसवालों ने कहा की शंकर ढाबा में खाना बंट रहा है, वहां पहुंचे तो ढाबा वाले ने बताया की मैं तो बाँट चुका हूँ ।
ऐसे ही जिले के भरतपुर इलाके में भी कई गाँवों और मजारो में लोग भूख से परेशान है. इस इलाके के खमरिया, बागलनपुरवा, कोलडफहा, और कोल आदिवासियों के दरों में रहने वाले सैकड़ों लोग परेशान है । वहीँ चित्रकूट के जिलाधिकारी शेषमणि पाण्डेय का कहना है की, वितरण करवाया आ रहा है. कोई भी व्यक्ति या परिवार वाला भूखा नहीं रहेगा. जिन लोगों के सामने रोत का संकट है । उनका पता लगाकर राशन सामुग्री दिलवाई जायेगी. गौरतलब हो की देश में कई जगह हज़ारो गाँव देहातों में गरीबों के सामने रोटी का संकट खडा हुआ है ।