गरीब औरत राशन का डिब्बा लेकर घर पहुंची निकाब उतारा और जो हुआ वो हैरतअंगेज

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नई दिल्ली : दुनिया खतरे में है, कोरोना वायरस जैसी महामारी का खतरा सर पर मंडरा रहा है. लाखो लोग मर चुकें है, लाखो मरने की कगार पर हा करोड़ों लोग भूख से तड़प रहे है. दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है. कुवैत, तुर्की, अरब जैसे मुल्कों समेत भारत के मुसलमान इस तरह लोगों की मदद कर रहे है किसीको खबर तक नहीं हो रही है. कई जगह तो दान देने वाले का पता भी नहीं चल रहा है. लोग पुण्य कमाने में लगे है. ऐसे लोगों को बदनाम करने वाले लोग भी है, इनको सिर्फ फोटो खींचने से मतलब है. किसी महिला की इज्ज़त का भी ख़याल नहीं है. लानत हो ऐसे लोगों पर. इन जैसे लोगों के लिए किसीने यह कविता लिखी, ओ बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है.

गरीब औरत राशन का डिब्बा लेकर घर पहुंची
निकाब उतारा,
और खाना पकाने की तैयारी करने लगी,
बच्चे खामोशी से देख रहे थे,
बेटी ने पूछा!

माँ,,,, यह राशन कहाँ से मिला,,,,,,?
एक बड़े आदमी ने दिया है!
बड़ा आदमी,,,,,,,,?
बेटी ने चौंक कर पूछा,,,,,?
हाँ,,, बहुत बड़ा आदमी,,, 
फ़ौज,, सिपाही,,, संस्थान,,, सब उसके कब्जे मे हैं,,,,,
बेटी,,, हैरानी से बोली,,,,
इतने बड़े आदमी ने,,,,,, इतना छोटा से पैकेट दिया,,,,,?
माँ ने सर हिला कर बोला ,,,,
हाँ,,,, बेटा,,,,,, सिर्फ पद बड़ा था उसका,,,,,,,,,,,,,
बेटी चुप हो गई,,,, सोचती रही,,,, फिर बोली,,,,,

किसी को पता तो नहीं चला अम्माँ,,,,,,कि,,, 
तुम दान का राशन लाई हो,,,,,,,,?
माँ,,, ने इंकार मे सर हिलाया,,,,,,
नहीं,,,,,,,, मैंने नक़ाब लगाया हुआ था,,,,,, 

फोटो खींची लेकिन मेरे नक़ाब ने मेरा चेहरा,,, छुपा लिया,,,,,,,
बेटी तड़प गई,,,,, और,,,,, बोली,,,,
अम्माँ,,,, तुम्हें शर्म नहीं आई,,,,,,दान लेते समय,,,, फोटो खिंचवाते हुए ,,,,?
माँ,,, ने हल्का का मुस्कुराते हुए बोली,,,,,
नहीं,,,,, बेटा,,,,,, उसे भी नहीं आई,,,,,, 
मैं तो नक़ाब में थी,,,,,,,,, वह बेनक़ाब हो गया,,,,,,,
डूब मरो फोटो लेने वालों

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