क्या सच मे ? पटरी के नुकीले पत्थरों पर सो रहे थे मजदूर ?

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क्या सच मे ? पटरी के नुकीले पत्थरों पर सो रहे थे मजदूर ?

मुम्बई : महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आकर 16 मजदूरों की दर्दनाक घटना को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के तर्क वितर्क, आरोप प्रत्यारोप और कयास लगाए जा रहे है । कोई मजदूरों की मजबूरी बयान कर रहा है तो कोई राज्य सरकार को इसका जिम्मेदार बताया रहा है तो कोई केंद्र सरकार को जिम्मेदार बता रहा है । कुछ लोगों का मानना है कि यह सामूहिक आत्महत्या है । तो कईयों ने इसे हादसा बताया है । सवाल तो कई सारे है । क्या सच मे मजदूर उस पटरी पर सो रहे थे जहां नुकीले पत्थर होते है । क्या पटरी के पड़ोस में घास वाली जमीन पर क्यों नही सोये ? 

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने मृत परिवार को प्रत्येकि 5 लाख रुपये देने का ऐलान किया है । जिसके बाद लोगों ने सरकार को भी घेरना शुरू किया । इसपर भी लोगो ने सवाल उठाया कि जब मजदूर जिंदा थे तब 500 रुपये का टिकट कटवाकर घर क्यों नही भेजा ? ज्ञात रहे कि पैदल चल रहे कई मजदूर हादसे का शिकार हुए है । कल एक दंपत्ति सायकल से प्रवास कर रहे थे । हादसे का शिकार हुए दंपत्ति की जगह पर दुखद मौत हो गयी है और दो तीन साल के दो मासुब अनाथ हो गए है ।

कोरोना महामारी से बचने के लिए लॉक डाउन किया गया जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी । लेकिन औरंगाबाद में हादसे का शिकार हुए मजदूर एक सवालियी निशान बना हुआ है । पुलिस इसकी जांच कर रही है सच जल्द ही सामने आएगा ।
सामाजिक कार्यकर्ता रजनी मुर्मू ने भी कुछ सवाल उठाए है उन्होंने अपनी सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा कि, “मजदूर रेलवे ट्रैक पर सो रहे थे ?? सच में??  जहाँ इतने बड़े बड़े नुकीले पत्थर होते हैं! उन्होंने समतल जमीन को छोड़कर इन नुकीले पत्थर के उपर सोने का सोच लिया?? 

सोये रहते तो रोटियां और चप्पल यहाँ वहाँ कैसे बिखरे पड़े हैं  ?? तो क्या वे जागे हुए थे ? 
अगर ये निराशा में की गई #आत्म_हत्या  है तो इसके लिए केन्द्र सरकार  जिम्मेदार है जो असहाय  लोगों को सड़को और रेलवे ट्रैकों पर चलते हुए  चुपचाप देखती रही !
@Rajni Murmu”
रजनी मुर्मू के सवाल के जवाब भी जांच के बाद ही मिल सकते है । लेटेस्ट अपडेट के लिए हमसे जुड़े रहे ।
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