वे सिर्फ हाईवे पर नहीं मर रहे हैं. भूख और तंगी भी उनकी चहारदीवारी में घुसकर मार रही है

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वे सिर्फ हाईवे पर नहीं मर रहे हैं. भूख और तंगी भी उनकी चहारदीवारी में घुसकर मार रही है
वे सिर्फ हाईवे पर नहीं मर रहे हैं. भूख और तंगी भी उन्हें उनकी चहारदीवारी में घुसकर मार रही है. सिर्फ आज ही 6 मजदूरों के आत्महत्या करने की खबरों पर नजर पड़ी है. सनी को नहीं पता था कि वह काम खोजने जाएगा तो पत्नी खो देगा. वैसे जैसे भाग रहे लाखों लोगों को नहीं पता था कि रोटी कमाने जा रहे हैं, लेकिन एक दिन जान के लाले पड़ जाएंगे.


रीना 25 बरस की थी. सनी उसका पति है. वह पति के साथ पंजाब के फरीदकोट में रहती थी. सनी मजदूरी करता है. दोनों बिहार के रहने वाले थे. दो बेटियां हैं. एक तीन साल की और एक सात महीने की. लॉकडाउन लागू होने के साथ काम बंद हो गया था. आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई. खाने-पीने की भी मुश्किल खड़ी हो गई थी. दोनों काफी परेशान थे. आज सनी घर से काम खोजने निकला था. रीना ने घर में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली.


मधुसूदन मिश्रा ने भी आत्महत्या कर ली. मधुसूदन गुरुग्राम में मजदूरी करते थे. वे ओडिशा के खुर्दा का रहने वाले थे. किराये के मकान में रहते थे. किराया नहीं दे पा रहे थे. मकान मालिक परेशान कर रहा था. पड़ोसियों ने बताया है कि मकान मालिक किराया न दे पाने के लिए अक्सर झगड़ रहा था.
झारखंड के पलामू का वीरेंद्र दास जालंधर में मिठाई की दुकान पर काम करता था. पत्नी मोदी नगर में झाड़ू पोछा का काम करती थी. दोनों 6 मई को पलामू पहुंचे थे. वीरेंद्र को होम कोरंटाइन कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि वीरेंद्र अकेले रहने की वजह से तनाव में आ गया था. सोमवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वीरेंद्र का कोरोना टेस्ट नगेटिव आया था, लेकिन उसे 14 दिनों के लिए कोरंटाइन किया गया था.

सूरत में 16 मई को अलग अलग घटनाओं में तीन मजदूरों ने आत्महत्या कर ली.
सुभाष प्रजा​पति 60 बरस के थे. सूरत के ही रहने वाले थे. अकेले थे. कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करते थे. दो महीने से काम बंद था. पैसे की तंगी आ गई थी. उनके रिश्तेदार सुनील चौहान ने बताया ​है कि काम नहीं था, परेशान थे. माली हालत खराब थी, डिप्रेशन में चल रहे थे. खुदकुशी कर ली.
उत्तर प्रदेश के बांदा का रहने वाला सुधीर सिंह 24 बरस का था. सूरत की किसी रामेश्वर कॉलोनी में रहता था. सुधीर के साथ उसके कुछ रिश्तेदार भी थे. एक ही कमरे में रहते थे. 15 मई की रात बाकी लोग छत पर सोने चले गए. सुधीर कमरे मेें अकेला था. उसने फांसी लगा ली. उसके साथ रहने वाले अमर सिंह ने बताया कि हमने 19 तारीख का टिकट बुक किया था. हम घर जाने वाले थे. हम हैरान हैं कि उसने ऐसा क्यों किया.


महाराष्ट्र के रोहिदास लिंगायत 55 बरस के थे. सूरत के ऋषिनगर में रहते थे. किसी आटो गैराज में काम करते थे. लंच करके अपने कमरे में सोने गए और फांसी लगा ली. पुलिस ने कहा है कि लॉकडाउन खुलेगा तब गैराज मालिक से बात करके पता लगाएंगे.
तीनों मामलों में पुलिस जांच कर रही है.
आज अमर उजाला ने खबर दी है कि लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं. 55 दिन के लॉकडाउन में झांसी में 27 लोग सुसाइड कर चुके हैं. ललितपुर में भी 15 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. यानी दोनों जिलों में कुल 42 लोग. सामान्य दिनों में एक महीने में औसतन तीन-चार लोग ऐसा करते हैं. लेकिन लॉकडाउन में आत्महत्याएं ज्यादा हो रही हैं.

एक तरफ निराशा लोगों को मार रही है तो दूसरी तरफ भूख और तंगी कोढ़ में खाज साबित हो रही है. सुना है भारत का अनाज भंडार बफर स्टॉक से तीन गुना भरा है.
(सूचना स्रोत: अमर उजाला, दैनिक जागरण, इंडियन एक्सप्रेस, दैनिक भास्कर.)


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