लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर रामपुकार पंडित का यही फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। (फाइल फोटोः पीटीआई) |
SD24 News Network
पुलिस ने की थी बदसलूकी; बोली थी- VIP हो, जो तुम्हें जाने दें?
कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच फोन पर रोते-बिलखते बात करते एक मजदूर का फोटो चंद रोज पहले खूब वायरल हुआ था। तस्वीर में जो शख्स था, उनका नाम है- रामपुकार पंडित। घर (गृह राज्य में) पर बच्चे का निधन हो गया और वह लॉकडाउन के चलते शहर में फंस गए थे। गांव जाना चाहते तो थे, पर सरकारी पाबंदियों के आगे वह बेबस थे। इसी बीच, वह हाईवे/सड़क किनारे फोन पर रोते-बिलखते घर वालों से बात कर रहे थे। समाचार एजेंसी PTI के फोटो पत्रकार अतुल यादव ने उनका फोटो खींचा था, जो बेहद मार्मिक था। इतना कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर कुछ लोगों और धड़ों ने उसे लॉकडाउन के बीच पीड़ित प्रवासी मजदूरों का पोस्टरबॉय तक बता दिया था।
रामपुकार पंडित कौन हैं, लॉकडाउन में वह कैसे अपने घर पहुंचे और उनके बाकी संघर्ष की कहानी क्या है? यही सब जानने के लिए वरिष्ठ टीवी पत्रकार बरखा दत्त ने उनसे वीडियो चैट पर बात की। पंडित ने उन्हें इस दौरान अपनी मजबूरी और खस्ताहाल माली हालत से रूबरू कराया। साथ ही बताया कि कितने जतन के बाद वह किसी तरह गांव पहुंच पाए। पीड़ित प्रवासी मजदूर के मुताबिक, रास्ते में उनसे 5000 रुपए की छिनैती हुई थी, जबकि पुलिस ने भी उनसे बदसलूकी की। आरोप है कि पुलिस वालों ने उन्हें मां-बहन की गालियां देते हुए कहा था, “तुम वीआईपी हो क्या, तो तुमको गांव-घर जाने दें?”
पंडित, मूलतः बिहार के हैं। उनका एक साल का बच्चा था, जिसकी उनके घर पहुंचने से पहले ही मौत हो गई थी। दत्त को उन्होंने बताया- मेरा बच्चा मर चुका है। अब मैं बेटियों की मदद कैसे करूंगा? अब मेरे पास पैसे नहीं हैं। खाने-पीने की बहुत दिक्कत हो चुकी है। नमक रोटी खाकर जिंदगी काट रहे हैं। दिल्ली लौटकर काम करने को तैयार हूं पर बहुत कमजोर हो चुका हूं।
दिल्ली की घटना का जिक्र करते हुए पंडित ने बताया- चलते-चलते उन्हें एक मारुति कार वाले ने बिठा लिया था। कार सवार युवकों ने मुझसे 5000 रुपए छीन लिए थे। मेरी एक मैडम ने मदद की थी। उन्होंने साढ़े पांच हजार रुपए दिए थे।