कानपुर बालिका गृह कांड : थाने पहुंचे पत्रकारों को पुलिस ने बंधक बनाकर पीटा

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कानपुर बालिका गृह कांड : थाने पहुंचे पत्रकारों को पुलिस ने बंधक बनाकर पीटा
कानपुर बालिका गृह कांड: कानपुर के स्वरूप नगर थाना अंतर्गत 2 न्यूज़ चैनलों के पत्रकार बालिका गृह कांड से जुड़े कुछ पहलुओं की जानकारी करने स्वरूप नगर थाने पहुंचे थे उसी दौरान ड्यूटी पर तैनात पहरे ने उन्हें रोका तो पत्रकारों ने जब मामले की जानकारी करने के संबंध में अंदर जाने देने की बात कही तो पहरे ने पत्रकारों पर टिप्पणी करना शुरू कर दी। जब मामला बढ़ने लग गया मौके पर कई पुलिसकर्मी आ गए जिन्होंने पत्रकारों को बंधक बना लिया। जिसके बाद पत्रकारों के साथ पुलिसकर्मियों ने जमकर मारपीट की।



इतना ही नहीं थाने के मुंशी ने पहरे से कहा “तुम इन पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमे लिखवा दो और मुकदमे में बोलो पत्रकारों ने मेरी बंदूक छीनने का प्रयास किया मैं इन्हें जेल भिजवा दूंगा”। और तो और थाने में मौजूद एक चौकी इंचार्ज ने पत्रकारों से कहा “अगर पहरा तुम्हें गोली मार देते तुम यही मरे पड़े रहते इनका क्या कुछ कर पाते..?”



रात 11:00 बजे से देर रात 1:30 बजे तक पत्रकारों को बंधक बनाकर मारपीट की गई उसके बाद जबरन इंस्पेक्टर के कमरे में बैठा कर समझौता लिखवा कर उन्हें छोड़ा गया। थाने से बाहर आते ही पत्रकारों ने अन्य मीडिया कर्मियों को प्रकरण की जानकारी दी जिसके बाद आज कई पत्रकार पीड़ित पत्रकारों के साथ एसएसपी ऑफिस गए और आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ एप्लीकेशन दी।
पत्रकारों के साथ मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों के नाम कुछ इस प्रकार हैं… पहरा जीतेंद्र, सिपाही विपिन, सिपाही दिनेश, चौकी इंचार्ज राम चौहान इसके अलावा चौकी इंचार्ज यशवंत सिंह, थाने का मुंशी समेत कई पुलिसकर्मियों ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी की थी।



यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि स्वरूप नगर थाना अंतर्गत आने वाला ये राजकीय बालिका गृह जिसमें इतना बड़ा मामला उजागर होकर सामने आया है पुलिस अपनी खामियों को छिपाने के लिए पत्रकारों को टारगेट करना शुरू कर चुकी है। पत्रकारों से खुन्नस निकाल रही है पुलिस।
स्वरूप नगर पुलिस बदमाशों के तर्ज पर लगातार दे रही है फर्जी मुकदमे में फंसाने व जान से मारने की धमकी, पुलिस की गुंडई थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुकी है। पत्रकारों को अपराधियों की तरह लॉकअप में बंद करके सिपाहियों ने मारपीट की है।



पुलिस पत्रकार को एक दूसरे का पूरक कहा जाता है लेकिन पत्रकारों के प्रति पुलिस का इस तरह का रवैया कहीं ना कहीं  लोकतंत्र की हत्या प्रतीत हो रहा है। इससे ये साबित होता है कि जिला प्रशासन कानपुर केवल इतना चाहता है जैसा वो कहें वैसा छापों, सच बिल्कुल ना दिखाओ।
हालांकि हम बालिका गृह कांड में गर्भवती पाई जाने वाली लड़कियों के बालिका गृह में गर्भवती होने की पुष्टि नहीं करते लेकिन पुलिस का इस तरह का उदासीन रवैया कहीं ना कहीं यह बात साबित करता है कि पुलिस पत्रकारों को टारगेट कर अपनी नाकामियों को छुपाने का काम कर रही है। अब देखना यह होगा जिला प्रशासन इस मामले को कितना गंभीरता से लेता है स्वरूप नगर पुलिस के खिलाफ शहर आए नए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक क्या एक्शन लेते हैं। लेकिन इस वक्त जो मामला इतना ज्यादा पूरे प्रदेश में छाया हुआ है जिस प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है ऐसे में पुलिस का पत्रकारों के प्रति इस तरह का व्यवहार किस हद तक लाजमी है ये अपनेआप मे सोचने वाली बात है।
By – Pranjul Mishra

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