1550 से 1950 तक भारत मे कोई आरक्षण नही था तब कितने अविष्कार किये बे ?

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1550 से 1950 तक भारत मे कोई आरक्षण नही था तब कितने अविष्कार किये बे ?
मोबाइल ऐप छोड़िए. यूरोप में साइंटिफिक रिवोल्यूशन शुरू होता है 1550 के आसपास. तब से लेकर संविधान लागू होने तक यानी 1950 तक भारत में कोई आरक्षण नहीं था. दुनिया में बड़े-बड़े आविष्कार हुए. 




भारत में एक जाति के पास पढ़ने-लिखने-ज्ञान पाने का एकाधिकार था. सिर्फ उन्हीं के लिए गुरुकुल वगैरह थे. हालांकि अंग्रेजों के आने के बाद शिक्षा के कुछ द्वार अन्य जातियों के लिए भी खुले. फिर भी वर्चस्व तो ब्राह्मणों का कायम रहा.
इस दौरान उनके द्वारा किए गए एक आविष्कार का नाम बताइए. अपने इस्तेमाल में आने वाली एक मशीन का नाम बताइए, जिसका आविष्कार इन विश्वगुरुओं ने किया हो. किचन देखिए. अपने कमरे में देखिए. 




कोई एक मशीन. कोई एक उपकरण, एक खोज, जिससे जिंदगी आसान हुई हो, उम्र लंबी हुई हो. बताइए.
क्या आपके रसोई घर में कोई भी उपकरण है, जिसका आविष्कार भारत में हुआ है? – गैस, लाइटर, एक्जॉस्ट फैन, कुकर, माइक्रोवेव, ओटीजी, मिक्सर-ग्राइंडर, वाटर प्यूरीफायर, बल्व, इलेक्ट्रिक चिमनी? औरतों को गुरुकूल से दूर रखने से यही होगा. जिसकी समस्याएं थीं, उनकी ज्ञान तक पहुंच ही नहीं थी. आविष्कार निठल्ले तो करेंगे नहीं. उनको कोई समस्या ही नहीं थी.




अपने इस्तेमाल में आने वाली एक मशीन का नाम बताइए, जिसका आविष्कार इन विश्वगुरुओं ने किया हो. किचन देखिए. अपने कमरे में देखिए. कोई एक मशीन. कोई एक उपकरण, एक खोज, जिससे जिंदगी आसान हुई हो, उम्र लंबी हुई हो. 
बताइए. क्या बनाया इन लोगों ने दुनिया बदलने वाले आविष्कार किन लोगों ने किए. ताला बनाने वाले पीटर हैनलीन ने घड़ी बनाई. वर्कशॉप में काम करने वाले जेम्स वाट ने भाप का इंजन बनाया. सुनार रुंटजेन ने प्रिंटिंग प्रेस बनाया. ज्ञान और श्रम के मिलन से आविष्कार हुए.




भारत में जन्मजात ज्ञान वाले सबके सिर पर बैठ गए और श्रम करने वाले नीच मान लिए गए. दोनों का मेल कभी हुआ ही नहीं. ज्ञानी निठल्ला था और श्रमिक को ज्ञानी माना नहीं गया. 
तो आविष्कार होता कैसे? आविष्कार श्रम को आसान बनाने के लिए होते हैं. श्रम न करने वाले आविष्कार नहीं कर सकते.




जहां कहार नाम की जाति हो वहां कार का आविष्कार नहीं हो सकता. धोबी नाम की जाति हो वहां, वाशिंग मशीन का आविष्कार नहीं हो सकता.  जाति व्यवस्था में सस्ता श्रम उपलब्ध था. 
मशीन बनाने की जरूरत किसे थी? जिसे श्रम को आसान बनाने की जरूरत थी, उसे ज्ञान से वंचित रखना धार्मिक कर्तव्य था.
– वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के निजी विचार




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