पटनाः- सरकार की प्रचार -प्रसार पर यहां के लोग कितना अमल करते हैं, इसका स्पष्ट नजारा बाढ़ के मीट- मार्केट में देखने को मिला। होली मंगलवार को पड़ने की वजह से बहुत सारे घरों में मांसाहारी व्यंजन नहीं बना था। लेकिन बुधवार होने की वजह से मांसाहारी खाने वालों की भीड़ बाढ़ शहर के स्टेशन रोड स्थित मीट-मार्केट में टूट पड़ी। भीड़ का आलम ऐसा था कि एक ग्राहक को निपटाने में दुकानदार को आधे घंटे की समय लग रही थी। मीट- मार्केट के चप्पे-चप्पे में सिर्फ ग्राहक ही ग्राहक दिखाई दे रहे थे।
ग्राहकों की भीड़ देखकर ऐसा कुछ नहीं लग रहा था कि इन लोगों के मन- मस्तिष्क में जरा- सी भी करोना वायरस का भय नही है।
लोग जल्दी -जल्दी खरीददारी करने के चक्कर में एक दूसरे पर चढ़े जा रहे थे। जबकि मीट और मछली की कीमत भी आसमान छू रही थी। बावजूद इसके ग्राहकों के बीच न तो ऊंची कीमत की चिंता थी और न ही ‘जानलेवा करोना वायरस’ का भय। लोग बेधड़क खरीदारी में मशगूल थे।
यदि कोरोना वायरस के भय का कुछ असर दिख रहा था, तो सिर्फ चिकेन की दुकानों पर। चिकन विक्रेता और सब्जी विक्रेता जहां झक मार रहे थे, वही मीट और मछली विक्रेता नोट गिनने में व्यस्त दिखे। चिकन विक्रेता तो रोना रोते हुए सरकार से कुछ अलग उपाय करने की मांग कर डाली। उनका कहना था कि हम लोग दिन- रात चिकन के साथ रहते हैं। उसे काटते हैं, उसे खा रहे है, तो किसी पर कोरोना वायरस का असर नहीं हुआ है। लेकिन झूठी प्रचार ने हमारी रोजी-रोटी पर आफत ला दी है।
चिकन खरीदार भी दुकानदार की बात को समर्थन करते हुए मुर्गा में कोरोना वायरस को पाया जाना सिर्फ अफवाह बताया। उनका कहना था कि भारत सरकार पहले ही क्लियर कर चुकी है कि मुर्गा में करोना वायरस का असर