जिसके खिलाफ प्रदेश का मुख्यमंत्री हो, प्रशासनिक सेवा के आईएएस आईपीएस अधिकारी हो ।
घर के चारो ओर लठ ओर बड़ी बडी बन्दूक लेके खडे हुये पुलिस के जवान हो। जिसके खिलाफ तथाकथित सवर्ण जातियां हो ।
जिसके खिलाफ उसके पडोसी ही हो । जो भी आज न्यूज़ चैनल खबर चला कर खुद को चमका रहे है । सारी राजनीतिक पार्टिया रोटी सैक रही है ।
कल को वो वहा रहे या ना रहे। लेकिन उस पीडित परिवार को तो अब लड़ते ही रहना होगा । ये लडाई परिवार लाठी ओर बन्दूक के बिना ही ये लडाई लड़ रहा है ।
हुकूमत की आंख मे आंख डालकर कह रहा है । हमारा सीना है ओर आपकी गोलियाँ चलाओ जितना चलाना है ।
मेरा तो मरते दम तक सलाम रहेगा उस परिवार ओर खासतोर पर उस परिवार की महिलाओ को जो चुप नही बैठी है । हुकूमत की ईंट से ईंट बजा रखी है ।
मरने वाली लडकी भी इन्ही मे से एक थी जो बहुत जाँबाज थी
तभी आज वो जिंदा नहीं है । क्युंकि लड़ने वाले की जींदगी हमेशा ही दांव पर होती है । समझोते कर लेने वाले जीते है
-विद्रोही अनिल