हमने कभी बाबरी को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया फिर भी हम कट्टरपंथी हैं ।

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हमने कभी मस्जिद वहीं बनायेंगे जैसा कैंपेन
नहीं चलाया फिर भी हम कट्टरपंथी हैं।
हमने बाबरी
मस्जिद के मामले में कदम कदम पे कोर्ट का सम्मान किया फिर भी हम कट्टरपंथी हैं।
हमने बाबरी के लिए दंगे नहीं भड़काये ज़हर नहीं बोया फिर भी हम कट्टरपंथी हैं। हमने बाबरी मस्जिद बनाने का नारा देने वाला कोई नेता नहीं पैदा किया फिर भी हम
कट्टरपंथी हैं।
बाबरी मस्जिद के नाम पर राजनीति करने वाली
कोई पार्टी नहीं बनाई फिर भी हम कट्टरपंथी हैं।
प्रत्येक दंगों में प्रशासन और बहुसंख्यकों
नें हमारा कत्लेआम किया हम चुप रहे फिर भी हम कट्टरपंथी हैं।
हमें आरक्षण से वंचित किया गया हम चुप रहे फिर भी हम कट्टरपंथी हैं। हमें मुख्यधारा से काट दिया गया फिर भी हम कट्टरपंथी हैं । सारे सिस्टम से हमारी भागीदारी दिनों दिन सुवियोजित रूप से खत्म की गई हम चुप
रहे फिर भी हम कट्टरपंथी हैं ।
हमारे साथ
धार्मिक भेदभाव हुआ हम चुप रहे फिर भी हम कट्टरपंथी हैं ।
सेक्युलरिज़्म के नाम पर गांधी, नेहरू, इदिरा, राजीव, सोनिया, राहुल, केजरीवाल, मुलायम, अखिलेश, माया, काशीराम, ममता, गौड़ा, येचुरी, ज्योतिबासु, करात, शरद, पाशवान, नितीश, पवार, अठावले, अंबेडकर, चंद्रशेखर, नायडू जैसे दर्जनों अवसरवादियों को हीरो
बनाया उन्हें सर माथे पर बिठाया फिर भी हम कट्टरपंथी हैं ।
हमने मुस्लिम नेतृत्व को दरकिनार कर दिया
अछूत बना दिया ताकि हम पर कोई आंच न आये फिर भी हम कट्टरपंथी हैं पर गोड्से का
मंदिर बनाकर पूजने वाले मोदी जैसे मास किलर को प्रधान मंत्री चुनने वाले
, योगी जैसे दंगाई को मुख्यमंत्री बनाने वाले देशभक्त हैं सहिष्णु हैं महान हैं
। इनकी महानता ये है कि कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाये रखने के आदेश को बार बार
ठेंगा दिखाना
, अटल आडवाणी जैसे अपराधियों का गुणगान करना, अटल को महान कहकर आरएसएस को कोसने जैसा दोगलापन सिर्फ यही लोग कर पाते हैं ।
भाई साहब मान लीजिए सेक्युलरिज़्म सिर्फ
हमारे कंधों का बोझ है
, मान लीजिए तमाम संवैधानिक संस्थायें और उनके
कानून हमारे दमन और शोषण का मुख्य हथियार है ।
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