सुअर का ईदगाह में घुसना अनायास नही यह प्रायोजित कत्लेआम था (13 अगस्त 1980 मुरादाबाद)

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13 अगस्त 1980 मुरादाबाद …. 

आज ही के दिन ईदगाह में सुअर घुसने से नाराज़ नमाज़ियों और सुरक्षा में तैनात रक्षक कम भक्षक PAC के जवानों के बीच बहस हो गयी, लेकिन इस तनाव के बीच जितनी जल्दी PAC ने गोली चलाई उसे देख लगता है कि सुअर का ईदगाह में घुसना अनायास नही था ,, यह कत्लेआम तै शुदा था, करीब 83 नमाज़ी ईदगाह में शहीद हो गए. स्टेट गवर्मेंट वीपी सिंह की थी और केंद्र में इंदिरागांधी विराजमान थीं ।
दिल्ली सिख दंगे की तरह मुरादाबाद को भी कॉंग्रेस ने साम्प्रदायक दंगे में बदल दिया, पीएसी लगातार मुसलमानों को निशाना बनाती रही  और इस ओपन मसकेयर में करीब 300 मुसलमान की लाशों से मुरादाबाद की ज़मीन को लहू लुहान करदिया गया. कैबिनेट मंत्री अब्दुर रहमान नश्तर ने प्रेस कांफ्रेंस में यह कुबूल किया कि छोटे से विबाद के बाद पीएसी ने ईदगाह में कत्लेआम मचा दिया, इस इकबालिया बयान से नाराज़ कॉंग्रेस ने उन्हें मंत्रीपद से बर्खास्त कर दिया ।
हालांकि इस किलिंग के बाद नाराज़ अरब हुक्मरानों ने कच्चे तेल की सहायता भारत को न देने का फैसला किया जिसके बाद इंदिरागांधी ने अपने चाटुकार ऐसे मौलानाओं का वफद अरब को भेजा जो अरब हुकूमत को यह समझाने में कामयाब रहे कि मामला मामूली है , भारत सरकार अमन पसन्द है और इंसाफ हमारे हक़ में होगा लिहाज़ा तेल सहायता न रोकें , और अरब हुकूमत ने प्रतिबन्ध खारिज़ कर दिए ।
” कॉंग्रेसी सरकार ने मात्र एक सिख दंगों के लिए सिख कम्युनिटी से माफ़ी मांग ली , शायद उन्हें इंसाफ भी मिल जाये , क्योंकि सिख कम्युनिटी ने अपने कत्ले आम से कभी समझौता नही किया और वह आज तक इंसाफ से कम कुछ नही चाहते, लेकिन हमारे कॉंग्रेसी परस्त सेकुलर तबके ने कभी यह नौबत नही आने दी कि इंसाफ न सही कमसे कम इन प्रशाशनिक किलिंग के लिए कांग्रेस माफी ही मांग ले या कमसे कम अपने बैड एडमिनिस्ट्रेशन को कुबूल करे”..जिन घरों ने अपनो की लाशें उठाई वह आज तक इंसाफ की राह देख रहे हैं, उम्मीद कम है कि इंसाफ मिल पाए, मुस्लिम लीग को उनकी हक़ीर लेकिन बहुत मानी ख़ेज़ कोशिश के लिए सलाम जो कि उन्होंने फिर ग्राउंड ज़ीरो पर जा कर इंसाफ का मुतालबा किया है । 
यह आज़ादी और हुसूल आज़ादी है कि हम आज तक मुरादाबाद और हाशिमपुरा पर अब तक इंसाफ से महरूम हैं (सोशल मीडिया से साभार)
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