मैदान छोड़कर भागने वाले का नाम बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी नही है…….

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महाराष्ट्र के पिछले 2014 विधानसभा के चुनाव में भी मजलिस के दो विधायक थे और 2019 के विधानसभा चुनाव में मजलिस के दो विधायक हैं नुकसान कुछ भी नही हुआ है अनुमान के हिसाब से सीटें कम है लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मजलिस के लगभग 25 उम्मेदवार दुसरे या फिर तीसरे नंबर पर रहे और मजलिस के वोट % पर्सेन्ट भी बढ़ा है हार जीत तो जिंदगी का एक हिस्सा है इससे घबराने की जरूरत नही है मजलिस उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा लिया था लेकिन कामयाबी नही मिली थी
 लेकिन मजलिस मैदान नही छोड़ी बल्कि प्रतापगढ़ के उप चुनाव में मजबूती के साथ चुनाव लड़ी कामयाबी तो नही मिली लेकिन 20000 वोट लेकर सभी को संकेत दे दिया है की पंचायत चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव मजलिस मजबूती के साथ लडेगी पिछले लोकसभा चुनाव में किशनगंज बिहार से भले मजलिस को पराजय मिली हो लेकिन किशनगंज उपचुनाव मजलिस मजबूती के साथ लडकर कामयाबी हासिल की कुछ ही दिनों में झारखंड विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं इस चुनाव में मजलिस मजबूती के साथ लडेगी और कामयाबी हासिल करेगी महाराष्ट्र में मजलिस को कम सीटें मिलने पर सेक्युलर पार्टीयों के सेक्युलर समाज के लोग मजलिस और बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी को ऐसे टार्गेट कर रहे हैं जैसे मजलिस की बहुत बड़ी हार हुई हो मजलिस हारी नही है मजलिस जीती है……

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