कल हमने जाना था कि कैसे “जनता 3 किमी दूर जाकर मटन लाती है” समस्या को कैसे हल किया जाए लेकिन यदि ऐसी समस्या हो ही न? यदि आपके इलाके में मौजूदा तौर पर 2 कसाइयों की दुकान हो तो।
अब यहां रुके और सोचे कि क्या अब जनता को मटन से संबंधित कोई समस्या नही है? ऐसा नही हो सकता, जहां चार बर्तन होंगे वहां शोर अवश्य होगा तो जहां 2 क्या 4 मटन की दुकान भी होगी, क्या वहां समस्या नही होगी। प्राचीन काल से एक बात चली आरही है कि आपका फोकस जिज़ चीज़ पर होगा वह बढ़ती चली जायेगी, जब आप मौजूदा मटन की चार दुकानो पर जाएंगे तो आप निम्न समस्याओं को पा सकते है, यदि आपका फोकस समस्या को ढूंढना है और यह समस्याये आप ग्राहकों से दबी हुई आवाज़ से सुनेंगे
1. “इसकी दुकान में मख्खियां बहुत है।”
2. “वह हड्डी ज़्यादा तोलता है।”
3. “वह लुंगी और बनियान पहन गोश्त देता है, अच्छा नही लगता”
4. “भाई सारी ही चर्बी देते हो”
5. “यह तमीज से बात नही करते”
6. “उसकी पैकिंग सही नही है”
7. “आसपास कुत्ते बहुत फटकते है”
8. ” मांस पर कोई स्क्रीन नही लगा रखी,
इसके अलावा दुकान का नाम न होना, ग्राहक सेवा का न होना, मुस्कुराते हुए अभिवादन का न होना, स्कीम का न मिलना, वैल्यू एडेड न मिलना यह सब भी समस्याएं है।
एक ग्राहक जब किसी ऐसी दुकान से सामान लेता हूं जिसका नाम हो, पैकिंग अच्छी हो, उसको मुस्कुराते हुए समान मिले तो उसे king होने की अनुभूति मिलती है। इस अनुभूति का न होना एक बड़ी समस्या है जो यदि आप मुहैया करवा दो तो आप खेल में आगे निकल जाओगे।
मैं आपको मेरे मित्र जयपुर के मित्र का उदाहरण देना चाहूंगा जिन्होंने मुझे बताया कि उनके इलाके जयपुर में एक lets meat करके कसाई की शॉप है। उसके आसपास 3 से 4 दुकान पहले थी वह आया और स्टैण्डर्ड मेन्टेन किया। वह मांस महंगा बेचता है फिर भी आसपास के 3 दुकान वालो की दुकानों पर ताला लग गया।
एक उद्यमी होने के नाते आपको प्रॉफिट पर ही ध्यान नही देना है आपको समाज की उन समस्याओं के निवारण हेतु कार्य करना है जिसके बदले समाज का बड़ा हिस्सा बार बार आपको पेमेन्ट देने को तैयार रहे। आप जितने लोगो की समस्या हल करेंगे आपकी आमदनी उसी हिसाब से बढ़ती जाएगी।
डॉ कसाई