मैंने मर्द को उस बेटे के रुप में भी देखा है जिसका बाप केंसर की लास्ट स्टेज पर था और……..

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मैंने मर्द को उस बेटे के रुप में भी देखा है जिसका बाप केंसर की लास्ट स्टेज पर था और

SD24 News Network : मैंने मर्द को उस बेटे के रुप में भी देखा है जिसका बाप केंसर की लास्ट स्टेज पर था और डॉक्टर कहते थे….बेटा बस दुआ करो तो बेटा कभी हाथ कभी पैर पकड़ रोते गिड़गिड़ाते हुए कहता है.डॉक्टर साहब मेरे बाप को बचा लो.



मैंने मर्द को एक भाई के रूप में भी देखा है जो मायके से विदाई के समय आँखो के आँसुओं को पी कर बहन के सर पर मोहब्बत का हाथ रख कर दुआएँ देता है.और बहन के दिल को सुकून और हिम्मत मिलती है.



मैंने मर्द का वो रुप भी देखा है जब ठिठुरती सर्दियों में सब कंबलों में दुबके होते हैं और बेटी कहती है.बाबा उठो न मुझे भूख लगी है कुछ खाने को ला दो न,बिना माथे पर शिकन लाए मोहब्बत और शफकत भरी मुस्कान के साथ सर पर चपत लगाता है और कहता है.उठ गया पुत्तर जी अभी लाया.



मकसद यह है कि मर्द एक अच्छा शौहर,बेटा और भाई है.बे वफा मर्द या औरत नही, बे वफाई एक कमी है जो मर्द और औरत दोनों में पायी जाती है.

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