तेजबहादुर का पर्चा कानून के प्रावधानों के तहत खारिज किया गया है। कानून आपकी भावना नहीं देखता है । कानून अपना काम करता है। यदि कानून कहता है कि बर्ख़ास्त कर्मचारी 5 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकता है तो इसमें भाजपा या मोदी का क्या दोष?? हाँ इसके लिए जनता को गुमराह कर भड़काया जा सकता है। इसी परिपेक्ष्य में एक वाक़ये का जिक्र करना चाहूंगा जो कि बात को और स्पष्ट करता है।
लाल बहादुर शास्त्री जी रेल मंत्री थे । उनके पास एक व्यक्ति आया । उसने कहा कि साहब मेरे बेटे को पुलिस की नौकरी लगवा दीजिए । लालबहादुर शास्त्री जी ने कहा कि भाई यह पुलिस में भर्ती नहीं हो सकता है क्योंकि यह बहुत छोटा है। वह व्यक्ति बोला कि वाह भाई वाह आप इतने छोटे हैं तो भी आप रेल मंत्री हैं और मेरा बेटा सिपाही नहीं बन सकता है। शास्त्री जी ने कहा कि मैं भी चाहूँ तो पुलिस नहीं बन सकता हूँ। यही हाल मोट बुद्धियों का है उन्हें भड़काने के लिए केवल इतना ही काफी है कि मोदिया चुनाव लड़ने नहीं दे रहा है।
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