अगर ख़बर नौ बजे आने के कारण अमर उजाला ने पेज 9 पर छापा है तो वहीं ख़बर देर से आने के कारण भास्कर ने पहले पेज पर छापा है। आप दोनों अख़बारों की ख़बर में दी गई जानकारी को देखें। फिर तय करें कि अख़बारों और चैनलों के इस्तमाल से कैसे पहले एक पाठक और फिर एक नागरिक की हत्या की जा रही है।
मीडिया भारत में मुर्दा लोकतंत्र चाहता है। भास्कर और उजाला के पास लोगों की कमी नहीं है। फिर भी उजाला ने पाठकों को अंधेरे में रखा और भास्कर ने अंधेरे से निकालने का काम किया। मैं केवल इस खबर की बात कर रहा हूँ ।