फूलों सी नाजुक इस बच्ची को पहचानिए। नहीं पहचाने! चलिए मैं बता देता हूँ आपको।
ये मुम्बई की वही आठ माह की प्यारी बच्ची तीरा कामत है जो दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी से पीड़ित थी और जिसकी जिंदगी बचाने के लिए दुनिया का सबसे मँहगा इंजेक्शन जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है कि जरूरत थी। अंधेरी के रहने वाले प्रियंका और मिहिर कामत की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे इसे वहन कर सकें।लेकिन क्राउड फंडिंग से भारत सहित 10 देशों के ढाई लाख लोगों ने इस बच्ची को बचाने के लिए पैसे बरसा दिए।
100 रुपये से लेकर 5 लाख रूपये तक लोगों ने मदद किया। केंद्र सरकार ने आयात शुल्क के 6 करोड़ माफ कर दिए। 16 करोड़ में अमेरिका से जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन आया। फरवरी में इस बच्ची को जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन लगा। बच्ची के फेफड़े ने सही तरह से काम करना शुरू कर दिया। लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच तीरा को फिर निमोनिया हो गया।
तीरा 22 दिन वेंटिलेटर सपोर्ट पर आईसीयू में थी।आखिकार तीरा ने निमोनिया को भी हरा दिया।और मुस्कुरा रही है। बहुत से लोग कोरोना से डर रहे हैं,बीमारी से लड़ने की शक्ति खो रहे हैं।उन्हें तीरा को देखना चाहिए जो 266 दिन से दो बीमारी से लड़कर विजेता बनकर कल घर जाने वाली है हॉस्पिटल से।बीमारी से लड़ों तो तीरा की तरह।बहुत प्यार बेटा तीरा,तुझे हमारी भी उम्र लग जाए।