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मताधिकार से चुने गए, निगम पार्षद, विधायक, सांसद सारे गायब
कोराना से राहत दिलाने में मताधिकार से चुने गए, निगम पार्षद, विधायक, सांसद, इत्यादि की जिम्मदारियां जब भी चुनाव होता है । तो ये सभी प्रत्याशी मताधिकारी से वादा करते हैं कि हम सदैव आपकी सेवा में समर्पित रहेंगे । इसी विश्वास पर मताधिकारी अपने वोट यानि मताधिकार से इनको लोकसेवक चुनते हैं । अब इस संकट की घड़ी में इन लोकसेवकों की क्या जिम्मेदारी बनती है?
इन सभी लोकसेकों को वोट मांगने की तर्ज पर जनता के बीच जाकर करोना से बचने के लिए चिकित्सा सुविाओं के तहत जरूरी उपचार सुविधा खाने पीने और जरूरत की चीजें घर घर जाकर देनी चाहिए । क्योंकि हमने इनको अपने मताधिकार से लोकसेवक चुना है । लेकिन यह काम करते हुए आ लोग ही दिखाई दे रहे है । नेता लोग भाग गए है । दोबारा चुनाव के वक्त आयेंगे तो दौड़ा दौड़ा के मारना चाहिए इनको ।
लोकसेवक यानि जनता का नोकर जिसे हम अपने मताधिकार से चुना प्रतिनिधि कहते हैं । और अगर ये आपके मताधिकार से चुने लोकसेवक ऐसा नहीं करते हैं । तो इनका लोकसेवा के पद पर बने रहना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326,39, इत्यादि संपूर्ण संविधान का उलंघन है ।
साथ ही इस संकट की घड़ी में माननीय प्रधान मंत्री जी, महामहिम राष्ट्रपति जी से अनुरोध है कि 21 दिन के lockdown में रोजाना ताज़ा कमाकर खाने वाले करोड़ों लोगों के लिए खाने पीने और अन्य रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं की पूर्ति का प्रावधान करें । ताकि कोई भी भारतीय भूख से ना मरे ।
जो सफाई कर्मी, पुलिस कर्मी, डॉक्टर इत्यादि दिन रात लोकसेवक की भूमिका निभा रहे हैं । उनके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और उन्हें पौष्टिक आहार भी उपलब्ध कराएं । भारत के सभी नागरिक इस संकट की घड़ी में एक दूसरे का साथ दें । भाईचारा कायम है तो समाज बचेगा तो राष्ट्र कायम रहेगा ।
जय भारत