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“ब्रा ही तो है यार” जिसे देख तुमने उठाई शर्म की दीवार
जिसे देख तुमने उठाई शर्म की दीवार ,
एक लड़की के चरित्र को बताया दागदार ,
ये तो बस एक साधारण सी ब्रा है दोस्त ,
सब पर मत थोपो अपने खोखले संस्कार !
जिसके नाम से टपकाते हो लार ,
वो तो है नारी का एक श्रृंगार ,
ब्रा को इज्ज़त से मत जोडो
ये बस एक वस्त्र है मेरे यार !
अगर तुम कपड़े के एक टुकड़े को
बताते हो हवस का ज़िम्मेदार ,
तो दोस्त तुम दिमाग से हो बीमार ,
ब्रा हर महिला पहनती है ,
ऊँचे रखो तुम अपने विचार !
मर्द की बनियान दिखे तो वाह वाह ,
औरत की ब्रा दिखे तो धिक्कार ,
सोचती हूँ ऐसी सोच वालों को
निकालकर मारूं जूते चार !
माँ पहनती है , बहन पहनती है
इसे पहनता है पूरा संसार ,
पर कुछ गंवारों ने ब्रा को बना लिया
कीचड़ उछालने का हथियार !
औरत की छाती निहारने वाले होते
हैं बेइज्ज़ती के असली हक़दार ,
तुम खुद भी ब्रा लाकर दे सकते हो
जो करते हो तुम उनसे प्यार !
किसी के पहनावे पर टोकने का
किसी को भी नहीं है अधिकार ,
ब्रा को लेकर ताना मत कसो
ना करो किसी औरत को शर्मसार !
आज किसी की ब्रा को देखकर
तुम करते हो गंदे शब्दों की बौछार ,
कल तुम्हारी बहन बेटी पर उंगली उठेगी
तो तुम्हें कैसा महसूस होगा बरखुरदार ?
अभी से तुम हो जाओ ख़बरदार ,
अपने आपको मौका दो एक बार ,
ब्रा को देखो बस एक कपड़े की तरह
अब तुम ले आओ ख़ुद में सुधार !
साभार~ “kanchan Rajput